Cabinet ने झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में 6,405 करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनाओं को दी मंजूरी
Cabinet: झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में 318 किलोमीटर नई मल्टीट्रैकिंग लाइनें आवागमन में सुधार लाएंगी, लॉजिस्टिक्स लागत कम करेंगी और टिकाऊ रेल परिचालन को बढ़ावा देंगी

Cabinet: उज्जवल प्रदेश डेस्क. नई दिल्ली। 133 किलोमीटर लंबी कोडरमा–बरकाकाना रेल डबलिंग परियोजना झारखंड के चार जिलों — कोडरमा, चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ — से होकर गुजरेगी। यह पटना और रांची के बीच सबसे छोटा और प्रभावी रेल मार्ग भी है।
- यह परियोजना 1.5 मिलियन की आबादी और 938 गांवों को बेहतर रेल संपर्क प्रदान करेगी।
- इस खंड में 17 बड़े पुल, 180 छोटे पुल, 42 रोड ओवरब्रिज और 13 रोड अंडरब्रिज शामिल हैं।
- Cabinet की इस परियोजना से हर साल 30.4 मिलियन टन अतिरिक्त मालवाहन संभव हो सकेगा।
- 1,630 मिलियन किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो लगभग 7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
- 320 मिलियन लीटर डीज़ल की बचत होगी, जिससे भारत के ईंधन आयात पर भी असर पड़ेगा।
बल्लारी–चिक्जजूर रेल लाइन डबलिंग: कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को मिलेगा लाभ
185 किलोमीटर लंबी बल्लारी–चिक्जजूर परियोजना कर्नाटक के बल्लारी और चित्रदुर्ग जिलों से होते हुए आंध्र प्रदेश के अनंतपुर तक जाएगी। यह (Cabinet) परियोजना मंगलुरु पोर्ट और सिकंदराबाद को जोड़ने वाली एक प्रमुख लाइन है।
परियोजना के तहत 19 स्टेशन, 29 बड़े पुल, 230 छोटे पुल, 21 ROBs और 85 RUBs बनाए जाएंगे। यह लाइन लौह अयस्क, कोकिंग कोल, स्टील, खाद, अनाज और पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन में सहायक होगी। इससे 1.3 मिलियन लोगों और 470 गांवों को फायदा होगा। 18.9 मिलियन टन अतिरिक्त मालवाहन की क्षमता बढ़ेगी। 1.01 बिलियन किलोग्राम CO₂ उत्सर्जन में कमी आएगी, जो 4 करोड़ पेड़ों के बराबर है। साथ ही, 200 मिलियन लीटर डीजल की बचत होगी।
Cabinet: भारतीय रेलवे की परिचालन क्षमता में सुधार और पर्यावरणीय लाभ
सरकार (Cabinet) के अनुसार, इन डबलिंग परियोजनाओं से भारतीय रेलवे की गतिशीलता, परिचालन कुशलता और सेवा की विश्वसनीयता में महत्वपूर्ण सुधार होगा। यह कदम रेल मार्गों की भीड़भाड़ को कम करने और सुचारू संचालन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
PM Gati Shakti योजना के तहत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा
यह मंजूरी पीएम (Cabinet) गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित करना है। इन परियोजनाओं से झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुल 318 किलोमीटर के नेटवर्क का विस्तार होगा और 1,408 गांवों की 2.81 मिलियन आबादी को फायदा मिलेगा।
सरकार (Cabinet) का दावा है कि ये परियोजनाएं न सिर्फ पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करेंगी, बल्कि भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, तेल आयात में 520 मिलियन लीटर की कटौती, और 2.64 बिलियन किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी लाएंगी, जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर होगा।