रामचरित मानस की चौपाईयां अर्थ सहित पढ़ें रोज, आज बयालीसवां दिन

Ramcharit Manas: गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित 'श्रीरामचरितमानस' चौपाई अर्थ सहित उज्जवल प्रदेश (ujjwalpradesh.com) आपके लिए लेकर आ रही हैं।

Ramcharit Manas: गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ की 8 चौपाई और 2 दोहे अर्थ सहित उज्जवल प्रदेश (ujjwalpradesh.com) आपके लिए लेकर आ रहा हैं। हम रोजाना गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ की 8 चौपाई और 2 दोहे लेकर आ रहे हैं । वही उज्जवल प्रदेश (ujjwalpradesh.com) एक नई पहल कर रही हैं जिसके माध्यम से आप सभी को संपूर्ण ‘श्रीरामचरितमानस’ पढ़ने का लाभ मिलें।

श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) में जिनके पाठ से मनुष्य जीवन में आने वाली अनेक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। वैसे तो संपूर्ण रामायण का पाठ करने से हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है, आप चाहे तो हमारे साथ जुड़कर रोजाना पाठ करें और संपूर्ण रामायण का पुण्य फल भी कमाएं। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ रामायण के प्रथम सोपान बालकांड के दोहा और चौपाई और भावार्थ

आज श्रीरामचरित मानस की 10 चौपाईयां | Today 10 Chaupais of Ramcharit Manas

दोहा
सदा सुमन फल सहित सब द्रुम नव नाना जाति।
प्रगटीं सुंदर सैल पर मनि आकर बहु भाँति॥65॥

भावार्थ: फिर तो वहाँ के वृक्ष सर्वकाल नवीन-नवीन पत्र, पुष्प और फलों से युक्त हो गये और नाना भाँति की मणियों की खानें उस सुन्दर पहाड़ पर आकर प्रकट हो गयीं।। 65।।

चौपाई
सरिता सब पुनीत जलु बहहीं। खग मृग मधुप सुखी सब रहहीं॥
सहज बयरु सब जीवन्ह त्यागा। गिरि पर सकल करहिं अनुरागा॥1॥

भावार्थ: नदियों में स्वच्छ और पवित्र जल बहने लगा, पक्षी और मृग आदि सुखी हो रहने लगे। सब जीवों ने स्वभावतः वैर त्याग दिया और परस्पर प्रीति रखते हुए सब उस पर्वत पर प्रेम करने लगे।

सोह सैल गिरिजा गृह आएँ। जिमि जनु रामभगति के पाएँ॥
नित नूतन मंगल गृह तासू। ब्रह्मादिक गावहिं जसु जासू॥2॥

भावार्थ: पार्वतीजी के जन्म से यह पर्वत ऐसा शोभायमान हो गया जैसे मनुष्य श्रीरामजी की भक्ति को पाकर शोभायमान हो जाते हैं। पर्वतराज के घर नित्य मंगलाचरण होने लगे और ब्रह्मादिक आकर उनका यशोगान करने लगे।

नारद समाचार सब पाए। कोतुकहीं गिरि गेह सिधाए॥
सैलराज बड़ आदर कीन्हा। पद पखारि बर आसनु दीन्हा॥3॥

भावार्थ: जब यह समाचार नारदजी को मिला तब वे बड़े कौतुक के साथ दौड़े हुए हिमाचल के घर पहुँचे । हिमाचल ने उनका बड़ा स्वागत किया और पाँव पखारकर सुन्दर आसन दिया।

नारि सहित मुनि पद सिरु नावा। चरन सलिल सबु भवनु सिंचावा॥
निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना। सुता बोलि मेली मुनि चरना॥4॥

भावार्थ: गिरिराज ने अपनी स्त्री मैना के साथ मुनि नारदजी के चरणों में प्रणाम करके उनके चरण- जल से सारे घर को सिंचा दिया। नारदजी के आने से पर्वतराज ने अपने सौभाग्य का बहुत वर्णन किया तथा कन्या पार्वती को बुलाकर मुनि के चरणों में दण्डवत् कराया।

दोहा
त्रिकालग्य सर्बग्य तुम्ह गति सर्बत्र तुम्हारि।
कहहु सुता के दोष गुन मुनिबर हृदयँ बिचारि॥66॥

भावार्थ: फिर कहा-हे मुनिवर! आप तीनों काल को जाननेवाले हैं और आपकी गति सर्वत्र है, सो आप अपने मन में विचारकर कन्या के गुण और दोष को कहिये ।। 66।।

चौपाई
कह मुनि बिहसि गूढ़ मृदु बानी। सुता तुम्हारि सकल गुन खानी॥
सुंदर सहज सुसील सयानी। नाम उमा अंबिका भवानी॥1॥

भावार्थ: तब नारदजी ने हँसकर मीठी और गूढ़ वाणी में कहा-आपकी कन्या सभी गुणों की खान है। यह स्वभावतः सुशील और बुद्धिमती है, अतः इसका उमा, अम्बिका और भवानी नाम है।

सब लच्छन संपन्न कुमारी। होइहि संतत पियहि पिआरी॥
सदा अचल एहि कर अहिवाता। एहि तें जसु पैहहिं पितु माता॥2॥

भावार्थ: यह आपकी कुमारी सब लक्षण सम्पन्न है और यह अपने पति की अत्यन्त ही प्रिय होगी। को जगत् में यश प्राप्त होगा। इसका सौभाग्य सदा अचल रहेगा और इसके माता-पिता

होइहि पूज्य सकल जग माहीं। एहि सेवत कछु दुर्लभ नाहीं॥
एहि कर नामु सुमिरि संसारा। त्रिय चढ़िहहिं पतिब्रत असिधारा॥3॥

भावार्थ: यह सारे संसार में पूज्य होगी और इसकी सेवा करने से ऐसी कोई भी दुर्लभ वस्तु नहीं है, जो न मिले। इसके नाम को जपकर संसार की स्त्रियाँ पतिव्रत धर्मरूपी तलवार की धार पर चढ़ेंगी।

सैल सुलच्छन सुता तुम्हारी। सुनहु जे अब अवगुन दुइ चारी॥
अगुन अमान मातु पितु हीना। उदासीन सब संसय छीना॥4॥

भावार्थ: हे पर्वतराज ! आपकी कन्या सुलक्षणी है, परन्तु इसमें जो दो-चार अवगुण हैं, अब वह भी सुनिये। इसे निर्गुण, मानरहित, माता-पिता से विहीन, उदासीन, सब सन्देह से रहित- ।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन और कंटेंट निर्माण प्रमुख हैं। दीपक ने कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करते हुए संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और सटीक, निष्पक्ष, और प्रभावशाली खबरें तैयार कीं। वे अपनी लेखनी में समाजिक मुद्दों, राजनीति, और संस्कृति पर गहरी समझ और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। दीपक का उद्देश्य हमेशा गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक सामग्री का निर्माण करना रहा है, जिससे लोग सच्ची और सूचनात्मक खबरें प्राप्त कर सकें। वह हमेशा मीडिया की बदलती दुनिया में नई तकनीकों और ट्रेंड्स के साथ अपने काम को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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