Poultry Farm Yojana से कम लागत लगाकर कमाएं ज्यादा मुनाफा
Poultry Farm Yojana : मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देशभर की राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से काम कर रही हैं। वहीं इस योजना के तहत मुर्गी पालने वाले को सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे यह योजना आगे बढ़े....।

Poultry Farm Yojana : उज्जवल प्रदेश डेस्क. गर्मी हो या बारिश अंडे तो हर समय खाये जाते हैं। लेकिन सर्दी के समय इसका उपयोग ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में मुर्गी पालन या कुक्कुट पालन से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। यह धंधा काफी कम जगह में हो खोला जा सकता है। वहीं अगर आपके पास इस बिजनेस के लिए अलग से कोई जगह नहीं है तो आप अपने घर के आंगन परिसर में इसका पालन करके इसे शुरू कर सकते हैं।
उन्नत नस्लों का चयन कर सकते हैं
भारत में विकसित उन्नत नस्लें, स्थानीय नस्लो के मुकाबले दो से तीन गुना अधिक उत्पादन करती हैं। इसलिए किसान अपने आंगन में कुक्कुट पालन के लिए उन्नत नस्लों का चयन हम कर सकते हैं। यदि देसी या स्थानीय नस्ल की मांग अधिक है, तो उसका पालन भी किया जा सकता है। गांव हो या शहर मुगी पालन या कुक्कुट पालन के लिए दो प्रकार की नस्लों का उपयोग होता है। पहली देसी और स्थानीय और दूसरी उन्नत नस्लें वाली मुर्गी होती है।
कैरिब्रो धनराज, कैरिब्रो ट्रॉपिकाना की नस्लें सबसे बेहतर
मुर्गी पालन के लिए कई नस्लें हैं, जिनका पालन किया जाता है। उनमें से वनराजा, ग्रामप्रिया, श्रीनिधि, कृषिब्रो, कृषि सीएआरआई हितकारी, सीएआरआई उपकारी, सीएआरआई सोनाली, सीएआरआई प्रिया, कैरी श्यामा, कैरी देबेंद्र, कैरीब्रो विशाल, कैरिब्रो धनराज, कैरिब्रो ट्रॉपिकाना, कैरिब्रो मृत्युंजय आदि शामिल हैं।
इनका पालन करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसी तरह आईसीएआर-सीएआरआई की ओर से भी मुर्गी की उन्नत नस्लें विकसित की गई है जिनमें कलिंग ब्राउन, कावेरी, ऐसिल, क्रॉस, चाब्रो-सीपीओडी द्वारा विकसित नस्ले शामिल हैं। इसके अलावा पशु विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियों में गिरिराज, स्वर्णधारा, नंदनम, राजश्री आदि हैं।
4 से 6 सप्ताह की उम्र की मुर्गियां खरीदें | Buy Chickens 4 To 6 Weeks
अच्छा मुनाफे के लिए किसानों को मुर्गी पालन के लिए 4 से 6 सप्ताह की उम्र की मुर्गियां खरीदनी चाहिए, क्योंकि इन्हें कम देखभाल की आवश्यकता होती है और एक दिन के पुराने चूजों की तुलना में मृत्यु दर भी कम होती है। ऐसे में आपको चाहिए कि चूजों की जगह मुर्गियां खरीदनी चाहिए।
डंकी नस्ल की मुर्गी आंध्रप्रदेश में पाली जाती है
देश में सबसे अच्छी नस्ल की मुर्गी छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश में मिलती है। असील नस्ल की देसी मुर्गियों का पालन किया जाता है। इसी प्रकार बुसरा नस्ल की मुर्गी का पालन गुजरात और महाराष्ट्र में किया जाता है। डंकी नस्ल की मुर्गी आंध्रप्रदेश में पाली जाती है।
मप्र में कडकनाथ को मध्यप्रदेश, कालहस्ती को आंध्रप्रदेश, कश्मीर फेवरोला को जम्मू और कश्मीर, मीरी को असम, निकोबारी को अंडमान और निकोबार, पंजाब ब्राउन को पंजाब और हरियाणा, तेलीचेरी को केरल, मेवाड़ी को राजस्थान, कौनयेन को मणिपुर और मुर्गी की हंसली नस्ल को ओडिशा और उत्तराखंड में पाला जाता है।
मुर्गी पालन के लिए प्रशिक्षण की जरूरत
यदि आप पहली बार मुर्गी का पालन कर रहे हैं तो आपको प्रशिक्षण की जरूरत होगी। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान- कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय (डीपीआर), हैदराबाद व भारतीय कृषि अनुसंधान- केंद्रीय पक्षी अनुसंधान (सीएआरआई), बरेली से बेहतर नस्लों के चूजों को प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा आप यहां से मुर्गी पालन या कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते हैं।
किसानों की आय बढ़ाने का है उद्देश्य
इस योजना के तहत किसानों को पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सब्सिडी व लोन का लाभ प्रदान किया जाता है। मुर्गी पालन के लिए लोन व सब्सिडी की अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मुर्गी पालन योजना के तहत अलग–अलग राज्य में वहां के नियमानुसार सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है। किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मुर्गी पालन योजना को प्रोत्साहित किया जा रहा है।