Health Tips: विंटर सीजन में बच्चों में बढ़ जाता है रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन

Health Tips: बच्चों में ठंडा तापमान, ड्राई हवा और ज्यादा समय घर के अंदर रहने के कारण उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में बच्चों को सही देखभाल की जरूरत होती है।

Health Tips: ठंड का मौसम बच्चों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। ठंडा तापमान, ड्राई हवा और ज्यादा समय घर के अंदर रहने के कारण उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में बच्चों को सही देखभाल की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही बरतने से उन्हें सर्दी-जुकाम, फ्लू, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

Health Tips: हर साल होती है 4 लाख बच्चों की मौत

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 5 साल से कम उम्र के करीब 4 लाख बच्चों की श्वसन संबंधी बीमारियों की वजह से मौत होती है। हर साल भारत में विभिन्न कारणों से बच्चों की जितनी डेथ होती हैं, उनमें से 13% से 16% का कारण एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) ही होता है। इससे हम इसकी गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं।

सही देखभाल और सुरक्षा उपायों से बचा जा सकता है श्वसन संबंधी बीमारियों से

सर्दियों में बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि सही देखभाल और पर्याप्त सुरक्षा उपायों से बच्चों को इससे बचाया जा सकता है। रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है।

यह तब होती है, जब मुंह या नाक के माध्यम से कोई वायरस या बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है। ये इन्फेक्शन नाक, गले, सांस नली या फेफड़ों में हो सकता है। ये इन्फेक्शन हवा में मौजूद बैक्टीरिया या इन्फेक्टेड व्यक्तियों के संपर्क में आने से फैल सकता है। बच्चों और बुजुर्गों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) का खतरा अधिक रहता है।

लक्षणों को नजरअंदाज करने से समस्या हो जाती है गंभीर | Health Tips

आमतौर पर लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। सर्दियों में बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) होने का एक बड़ा कारण उनका कमजोर इम्यून सिस्टम है। ठंड में बच्चे अधिक समय तक घर के अंदर रहते हैं।

ऐसे में घर में नमी की वजह से पनपे बैक्टीरिया इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा अधिकांश बच्चे ठंड की वजह से हाथ कम धोते हैं। जब वे अपनी उंगलियां को आंख, नाक या मुंह में डालते हैं तो इससे बैक्टीरिया आसानी उनके शरीर में पहुंच जाते हैं।

बार-बार खांसी, जुकाम हो या सांस लेने में परेशानी हो तो हल्के में न लें

अगर बच्चे को बार-बार जुकाम, बुखार, खांसी या सांस लेने में परेशानी होती है तो ये रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके अलावा रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) के कुछ और भी लक्षण हैं। रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory Infection) की गंभीरता इस पर निर्भर करती है कि यह किस लेवल का है।

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दो तरह का होता है इंफेक्शन

आमतौर पर ये दो तरह का होता है। पहला अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (URTI) और दूसरा लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (LRTI)। अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (URTI) इसमें बैक्टीरिया या वायरस ऊपरी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी नाक, गले और वॉइस बॉक्स को प्रभावित करता है। यह छींक या खांसी से निकलने वाली बूंदों के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है। इसके अलावा वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आए हाथों से अपनी नाक या मुंह को छूने से भी फैल सकता है।

साल में एक बार इन्फ्लुएंजा वैक्सीन जरूर लगवाएं

ये आमतौर पर इलाज के बाद ठीक हो जाता है, लेकिन लंबे समय तक इन्फेक्शन रहने से कान में दर्द या गले में सूजन आ सकती है। लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (LRTI) ये लंग्स और गले के नीचे के ट्रैक्ट को प्रभावित करता है। ये इन्फेक्शन ज्यादा गंभीर हो सकता है।

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इसमें निमोनिया, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस का खतरा होता है। इसलिए कोई भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। बच्चों को इससे बचाने के लिए साल में एक बार इन्फ्लुएंजा वैक्सीन जरूर लगवाएं। ये वैक्सीन वायरल इन्फेक्शन के खतरे को कम करती है। इसके अलावा पेरेंट्स कुछ और भी उपाय अपना सकते हैं।

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Deepak Vishwakarma

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