150 साल का हुआ IMD : भारत का मौसम का पूर्वानुमान अमेरिका से भी बेहतर, जानिए तकनीक न होने पर कैसे होती थी भविष्यवाणी

IMD: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) अपनी 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस लेख में जानें, जब तकनीक मौजूद नहीं थी, तब मौसम की भविष्यवाणी कैसे की जाती थी। साथ ही, कैसे IMD ने वर्षों के प्रयास और तकनीकी सुधार के साथ भारत और दुनिया में मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बढ़ाया। IMD की अब तक की यात्रा और तकनीकी उपलब्धियों पर एक नजर डालें।

IMD: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) इस साल अपनी 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। जानिए कैसे 150 साल पहले बिना तकनीक के मौसम की भविष्यवाणी की जाती थी और कैसे IMD की 150वीं वर्षगांठ पर यह स्पष्ट है कि तकनीकी सुधारों के साथ IMD ने मौसम की भविष्यवाणी में एक नई दिशा दी है। इससे ना केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में मौसम से जुड़ी समस्याओं पर काबू पाया जा रहा है। IMD की यात्रा से हमें यह सीखने को मिलता है कि समय के साथ तकनीकी विकास मौसम की भविष्यवाणी को और अधिक सटीक और विश्वसनीय बना सकता है।

पहले कैसे होती थी मौसम की भविष्यवाणी?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) अपनी 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह विभाग न केवल भारत, बल्कि नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव और मॉरीशस जैसे देशों को भी मौसम संबंधी चेतावनियाँ और अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रदान करता है। लेकिन जब तकनीकी संसाधन नहीं थे, तब मौसम का पूर्वानुमान कैसे किया जाता था? आइए जानते हैं, 150 वर्षों में IMD के साथ क्या बदलाव आए और कैसे यह दुनिया की बेहतरीन मौसम एजेंसियों में से एक बना।

प्राचीन काल से मौसम की भविष्यवाणी का इतिहास

भारत में मौसम विज्ञान का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। 3000 ईसा पूर्व के उपनिषदों में बादल बनने और बारिश की प्रक्रिया का वर्णन किया गया था। इसके बाद, प्रसिद्ध खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने 500 ईस्वी में बृहद्संहिता की रचना की, जिसमें वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का विस्तार से वर्णन था।

17वीं शताब्दी में थर्मामीटर और बैरोमीटर का आविष्कार

आज जिस मौसम विज्ञान का हम उपयोग करते हैं, उसकी नींव 17वीं शताब्दी में थर्मामीटर और बैरोमीटर के आविष्कार के साथ पड़ी। ये उपकरण मौसम की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण थे। इसी दौरान घाघ जैसे महान रचनाकारों ने अपनी कहावतों के माध्यम से मौसम की सटीक भविष्यवाणी की, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

IMD की स्थापना और शुरुआती प्रयास

15 जनवरी 1875 को अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की स्थापना की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में होने वाले तूफानों और मौसम से संबंधित घटनाओं की भविष्यवाणी करना था। प्रारंभ में IMD ने रेन गॉज जैसे साधारण यंत्रों का उपयोग किया था और धीरे-धीरे ये उपकरण अधिक सटीक होने लगे।

तकनीकी सुधार और मौसम की भविष्यवाणी में सुधार

आज के दौर में IMD ने अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। IMD अब 39 डॉपलर वेदर रडार, 806 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, और 200 एग्रो-एडब्ल्यूएस का उपयोग करता है। इसके अलावा, IMD के पास अब 3D सैटेलाइट और वेदर प्रिडक्शन मॉडल हैं, जो मौसम के पूर्वानुमान को बेहद सटीक बनाते हैं।

IMD का पूर्वानुमान: अमेरिका से भी बेहतर

साल 2010 में IMD का मौसम पूर्वानुमान अमेरिका के राष्ट्रीय मौसम सेवा से कम सटीक था, लेकिन आज IMD का पूर्वानुमान अमेरिका के राष्ट्रीय हरिकेन केंद्र से 30% बेहतर है। अब, भारी बारिश, तूफान और लू के पूर्वानुमान में 80-88% तक सटीकता आ चुकी है।

IMD के 150 साल: उपलब्धियां और भविष्य

IMD ने अपनी तकनीकी क्षमता में सुधार करके भारत को मौसम पूर्वानुमान में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। आज IMD दुनिया की टॉप 3 मौसम एजेंसियों में शामिल है। IMD केवल भारत में नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया और नॉर्थ इंडियन ओशन के 13 देशों को चक्रवाती तूफान का पूर्वानुमान देता है।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन… More »

Related Articles

Back to top button