Khajuraho News: ‘देशज’ समारोह में बघेलखंडी और बुंदेलखंडी लोकगीतों की जुगलबंदी
Khajuraho News: मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा संचालित 'आदिवर्त' जनजातीय लोककला और राज्य संग्रहालय, खजुराहो में 'देशज' समारोह आयोजित हो रहा है। इस कार्यक्रम में बघेलखंड और बुंदेलखंड की समृद्ध लोक कला और संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए लोकगीतों का शानदार संगम प्रस्तुत किया।

Khajuraho News: उज्जवल प्रदेश, खजुराहो. मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा संचालित ‘आदिवर्त’ जनजातीय लोककला और राज्य संग्रहालय, खजुराहो में आयोजित ‘देशज’ समारोह में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बघेलखंड और बुंदेलखंड की समृद्ध लोक कला और संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए लोकगीतों का शानदार संगम प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और कलाकारों के स्वागत से की गई, जो पूरे आयोजन का एक भव्य और पारंपरिक आरंभ था। इसके पश्चात, सुश्री वर्षा मिश्रा और उनके साथी-रीवा ने बघेली लोकगीतों की प्रस्तुति दी, जिसने रीवा और आसपास के क्षेत्रों की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत किया। उनकी आवाज़ में बघेली लोक संगीत की गहराई और सरलता, दोनों का अद्भुत मेल था, जिसने दर्शकों को अपनी मिट्टी से जोड़ते हुए एक अनोखा अनुभव प्रदान किया।
इसके बाद, भूपत सिंह लोधी और उनके साथी-दमोह ने बुंदेली लोकगीतों का प्रस्तुतिकरण किया, जिसने बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विविधताओं और इतिहास की गहरी छाप छोड़ी। उनके गीतों ने बुंदेलखंड की सामाजिक, पारंपरिक और भावनात्मक पहचान को पूरे जोश और श्रद्धा के साथ व्यक्त किया। प्रस्तुति ने दर्शकों को न केवल संगीत के आनंद में डुबो दिया, बल्कि बुंदेलखंड की मिट्टी और उसकी लोक संस्कृति के साथ एक अनूठा जुड़ाव भी प्रदान किया।
समारोह में अगला कार्यक्रम 15 फरवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा, जिसमें बुंदेली लोकगीतों और नृत्यों का एक और आकर्षक प्रदर्शन होगा। इस विशेष प्रस्तुति में श्री मोहतदास एवं साथी डिंडोरी द्वारा परधोनी नृत्य श्री मुलायम सिंह राय (छतरपुर), श्री लखन लोधी (छतरपुर), श्री शिवप्रताप यादव (छतरपुर), श्री हरप्रसाद विश्वकर्मा (छतरपुर), श्री हरिराम पटेल (छतरपुर) और श्री कमलेश पटेल अपनी गायन और नृत्य कला से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे और बुंदेली संस्कृति को फिर से जीवंत करेंगे।
‘देशज’ समारोह ने न केवल बुंदेलखंड और बघेलखंड की लोक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है, बल्कि इसने दर्शकों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और लोक कला के प्रति प्रेम और सम्मान बढ़ाने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान किया।
आपसे विनम्र निवेदन है कि इस समाचार को अपने प्रतिष्ठित समाचार पत्र के 10 फरवरी, 2025 के अंक में प्रकाशित करने का कष्ट करें।