Mahbooba Mufti ने इजरायल-ईरान तनाव पर अपनी प्रतिक्रिया दी, कहा ‘इजरायल “बेकाबू और बेलगाम” राष्ट्र हैं’
Mahbooba Mufti: शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमले को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने "एक बेशर्मी भरा कृत्य" करार दिया है। यह बयान उन्होने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दिया।

Mahbooba Mufti: उज्जवल प्रदेश, श्रीनगर. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमले को “एक बेशर्मी भरा कृत्य” करार दिया है। उन्होंने कहा कि इजरायल अब एक ऐसा राष्ट्र बन चुका है जो “बेकाबू और बेलगाम” नजर आता है।
महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा, “ईरान पर इजरायल का हमला एक और बेशर्मी भरा कदम है, जो यह दिखाता है कि वह एक ऐसा राष्ट्र बन चुका है जो अब पूरी तरह से बेलगाम हो गया है। वैश्विक समुदाय, विशेषकर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों की चुप्पी न केवल चिंताजनक है, बल्कि बहुत कुछ बयान करती है। यह चुप्पी एक तरह से मौन स्वीकृति है।”
यहां से देखें पोस्ट..
Israel’s attack on Iran is yet another brazen act by a state that appears to have gone rogue. The silence of the global community particularly Western powers led by the United States is both alarming and telling. This silence amounts to tacit approval. In the case of…
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 13, 2025
बताते चलें कि शुक्रवार सुबह इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान पर हमला किया, जिसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाया गया। यह हमला ईरान और इराक के 1980 के दशक के युद्ध के बाद ईरान पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है, जिससे मध्य-पूर्व में पूर्ण युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
महबूबा मुफ्ती ने अमेरिका की दोहरी नीतियों पर उठाए सवाल
महबूबा मुफ्ती ने अमेरिका की दोहरी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी के वक्त अमेरिका अक्सर हस्तक्षेप कर उसे टालने का श्रेय लेता है, लेकिन जब बात गाजा में इजरायल की लगातार बमबारी की हो या अब ईरान पर उसके हमले की, तब वही अमेरिका और उसके सहयोगी देश चुप्पी साध लेते हैं। उन्होंने कहा, “इन दोहरे मापदंडों से वैश्विक शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।”
महबूबा ने मुस्लिम देशों की चुप्पी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “इस भयावह अन्याय के सामने तथाकथित मुस्लिम देशों की चुप्पी बेहद परेशान करने वाली है। उनका निष्क्रिय बने रहना केवल निराशाजनक नहीं है, बल्कि उन मूल्यों और कारणों से विश्वासघात है, जिनका वे दावा करते हैं कि वे समर्थन करते हैं।”