Mid-Day Meal : बच्चे बीच में पढ़ाई न छोड़ें इसलिए बांटा जा रहा स्कूलों में मध्याह्न भोजन

Mid-Day Meal : स्कूल आने के बाद बच्चों को भूख लगती है और ऐसे में बच्चे भूखे रह जाते हैं और ऐसे स्थति में उनका मन पढ़ाई की जगह भोजन में लगा रहता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में मध्याह्न भोजन की शुरुआत की गई है।

Mid-Day Meal : उज्जवल प्रदेश डेस्क. 1995 में केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई मध्याह्न योजना का लाभ आज देशभर के सरकारी स्कूल के बच्चों को मिल रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि स्कूल आने के बाद बच्चों को भूख लगती है और ऐसे में बच्चे भूखे रह जाते हैं और ऐसे स्थति में उनका मन पढ़ाई की जगह भोजन में लगा रहता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में मध्याह्न भोजन की शुरुआत की गई है।

स्कूलों को मुफ्त मिलती राशन उपलब्ध कराती है सरकार

Mid-Day Meal : यह केन्द्र सरकार की योजना है, जिसे वर्ष 1995 में शुरू किया गया था। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार, राज्यों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराती है, तथा शेष अन्य लागतें (जैसे-परिवहन, खाना पकाने, आदि) राज्यों के साथ साझा की जाती है।

Mid-Day Meal : मध्याह्न भोजन योजना यह केन्द्र सरकार की योजना है जिसके अन्तर्गत देशभर के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। पंजीयन बढ़ाने, प्रतिधारण और उपस्थिति तथा इसके साथ-साथ बच्चों में पौषणिक स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पौषणिक सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया था।

Mid-Day Meal अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कुल पहुँचते हैं, जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं, उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है और वे अपना ध्यान पढाई पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए “पूरक पोषण” के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर सकता है। यह समतावादी मूल्यों के प्रसार में भी सहायता कर सकता है।

पोषण स्थिति में सुधार करना

मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का एक प्राथमिक लक्ष्य बच्चों की दैनिक पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला संतुलित भोजन उपलब्ध कराकर कुपोषण से लड़ना है।

सरकारी स्कूल का हो विद्यार्थी

इस योजना का लाभ लेने के लिए विद्यार्थी का नाम सरकारी स्कूल में लिखा होना चाहिये। तभी बच्चों को स्कूल में भोजन दिया जाता है। वह भी कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8वीं तक छात्र हो । सरकार का उद्देश्य है कि घर से पढ़ने आए बच्चों को दोपहर के समय उन्हें भोजना मिलना चाहिए।

योजना का यह है उद्देश्य

  • स्कूलों में बच्चों की मौजूदगी व पोषण की स्थिति को सुधारना करना।
  • पढ़ाई को बीच में छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या में कमी लाना
  • जाति-पाति के भेदभाव को दूर करना है।

योजना का यह है मुख्य प्रावधान

  • मिड डे मील 6-14 आयु वर्ग के स्कूली बच्चों को दिया जाता है।
  • एक साल में कम से कम 200 दिनो तक प्रत्येक कार्य दिवस पर ताजा भोजन पकाया जाएगा।
  • प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) व उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) में पढ़ने वाले बच्चों को मिलेगा।
  • यह योजना सभी सरकारी स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, मदरसों, शिक्षा गांरटी योजना व वैकल्पिक अभिनव शिक्षा योजना के तहत चल रहे केन्द्रों में पढ़नें वाले बच्चों पर लागू होती है।
  • सूखा घोषित क्षेत्र में गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी यह योजना बन्द नहीं होगी।
  • मिड डे मील कार्यक्रम के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रतिदिन व्यय 3.77 रुपए . प्रति बच्चा तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर प्रतिदिन व्यय 5.65 रू. प्रति बच्चा निर्धारित है।

Mid-Day Meal : मिड डे मील योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण कर दिया गया है । इसलिए केंद्र सरकार देश में बाल पोषण को बढ़ावा देता है, इसलिए मध्याह्न भोजन योजना का नाम बदलकर इसे अब पीएम पोषण शक्ति’ कर दिया गया है। पिछले 8 सालों से शिक्षा विभाग से संचालित शासकीय स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का काम कर रहीं रसोइयों से सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक काम कराया जाता है।

Deepak Vishwakarma

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