MP Administrative: पुलिस मुख्यालय हुआ अपराध करने वाले बच्चों की सही उम्र नहीं निकालने पर नाराज

MP Administrative News: अपराधों में संलिप्त रहने वाले बालकों की उम्र की जांच जिला पुलिस सही से नहीं कर रही है। इस संबंध में जब पुलिस मुख्यालय के सामने हर जिले के अपराधों की रिपोर्ट सामने आई तो उसने नाराजगी जताई है।

MP Administrative News: उज्जवल प्रदेश, भोपाल. अपराधों में संलिप्त रहने वाले बालकों की उम्र की जांच जिला पुलिस सही से नहीं कर रही है। इस संबंध में जब पुलिस मुख्यालय के सामने हर जिले के अपराधों की रिपोर्ट सामने आई तो उसने नाराजगी जताई है। इसके बाद अब सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ ही इंदौर-भोपाल के पुलिस कमिश्नरों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पुरानी पद्वति से जांच नहीं की जाना चाहिए।

अब सिर्फ सबसे विश्वसनीय तरीके से ही जांच की जाए। मुख्यालय की सीआईडी शाखा ने सितंबर तक के ऐसे अपराधों की समीक्षा की, जिनमें नाबालिग लड़के आरोपी बनाए गए हैं। इनकी समीक्षा में यह सामने आया कि इस तरह के मामलों में कई बार आयु को लेकर पुलिस की जांच सही नहीं हो पाती। इसके चलते कई बार पुलिस आयु के अनुसार ही अपनी कार्रवाई कर देगी है। ऐसे में अब इस पर अंकुश लगाने के लिए सीआईडी ने सभी को निर्देश जारी किए हैं।

इस के तहत ही अब नाबालिग लड़कों की उम्र का सही पता करने के बाद आगे की कार्रवाई करने को कहा गया है। जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि ऐसे आपराधिक मामले जिनमें बालक की उम्र 18 साल से कम प्रमाणित किया जाना आवश्यक होता है। उनमें बालक की आयु का अवधारण विधिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं किया जा रहा है।

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अब क्या करना होगा पुलिस को

स्कूल से जन्म तारीख प्रमाण पत्र या संबंधित परीक्षा बोर्ड से दसवीं या उसके समतुल्य प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। यदि यह नहीं मिलता है तो निगम, नगर पालिका या पंचायत द्वारा दिया गया जन्म प्रमाण पत्र की प्रति भी ली जाएगी। यदि ये दोनों प्रमाण पत्र नहीं मिलते हैं तो फिर पुलिस को नवीनतम चिकित्सीय आयु अवधारणा जांच के आधार पर उम्र निकालना होगी। जिसमें दांतों की जांच करवा कर आयु का सही आंकलन को सबसे विश्वनीय तरीका सीआईडी ने बताया है।

पहले यह होती थी जांच

पहले इस तरह के मामलों में पुलिस रेडियोलॉजिस्ट से रिपोर्ट ली जाती थी, जो अपनी रिपोर्ट में आयु स्पष्ट नहीं लिखते हुए दो साल के बीच का लिख कर देते थे। इसके कई बार विवेचना भी प्रभावित हो जाती थी।

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Deepak Vishwakarma

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