भारत में हर 3 में से 1महिला पुरुष प्रताड़ना का शिकार -WHO report

WHO के अनुसार, कभी न कभी रिलेशनशिप में रहने वाली एक तिहाई महिलाओं ने बताया है कि उन्हें अपने इंटीमेट पार्टनर की शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है.

उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में हर तीन में से एक महिला इंटीमेट पार्टनर की शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव कर चुकी है. WHO के अनुसार, कभी न कभी रिलेशनशिप में रहने वाली एक तिहाई महिलाओं ने बताया है कि उन्हें अपने इंटीमेट पार्टनर की शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है.

भारत को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े?

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 29 फीसदी महिलाएं शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का अनुभव करती हैं. ये सर्वे 18 से 49 साल की महिलाओं पर किया गया था.

इसी सर्वे में ये भी सामने आया था कि ज्यादातर महिलाओं पर यौन हिंसा करने वाला इंटीमेट पार्टनर होता है. 82 फीसदी शादीशुदा महिलाओं ने माना था कि उनका पति उनपर यौन हिंसा करता है जबकि, अनमैरिड 16 फीसदी महिलाओं ने बताया था कि उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड या एक्स बॉयफ्रेंड की यौन हिंसा को झेला है.

इन आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाएं लिव-इन में रहें, शादी में रहें या फिर प्रेम में रहें… उन्हें कभी न कभी शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा से गुजरना पड़ता ही है. NFHS के आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे उनपर होने वाली हिंसा भी बढ़ जाती है.

मसलन, 18 से 19 साल की लगभग 18 फीसदी महिलाओं ने अपने साथ शारीरिक या यौन हिंसा होने की बात बताई थी. जबकि, 40 से 49 साल की 35 फीसदी महिलाएं शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होती हैं. सर्वे के नतीजों के मुताबिक, देश में करीब 79 फीसदी महिलाएं अपने मौजूदा पति और 13 फीसदी महिलाएं पूर्व पति की यौन हिंसा का शिकार हैं. जबकि, 2 फीसदी से ज्यादा महिलाएं बॉयफ्रेंड या एक्स की यौन हिंसा की पीड़ित हैं.

इसी तरह 78 फीसदी महिलाएं मौजूदा पति और 8 फीसदी से ज्यादा महिलाएं पूर्व पति की शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही हैं या हो चुकी हैं. जबकि, 0.2 फीसदी महिलाएं मौजूदा बॉयफ्रेंड और 0.1 फीसदी महिलाएं एक्स बॉयफ्रेंड की शारीरिक हिंसा झेलती हैं.

मर्डर के आंकड़े भी डराते हैं?

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, महिलाओं के लिए पहचान वाले ही सबसे खतरनाक होते हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में दुनियाभर में 87 हजार से ज्यादा महिलाओं की हत्या जानबूझकर कर दी गई थी.

इन 87 हजार में से 45 हजार महिलाओं की हत्या उनके इंटीमेट पार्टनर या फैमिली मेंबर्स ने ही की थी. सबसे ज्यादा 17 हजार 800 महिलाओं की हत्या एशिया में हुई थी. वहीं, 17 हजार 200 महिलाओं की हत्या अफ्रीका में हुई थी.

ये रिपोर्ट बताती है कि जिन महिलाओं की हत्या हुई थी, उनमें से 56 फीसदी की हत्या इंटीमेट पार्टनर या फैमिली मेंबर्स ने की थी. जबकि, जिन पुरुषों की हत्या हुई थी, उनमें से 11 फीसदी की हत्या का इल्जाम इंटीमेट पार्टनर या फैमिली मेंबर्स पर लगा था. रिपोर्ट के मुताबिक, हर एक घंटे में औसतन पांच महिलाओं की हत्या इंटीमेट पार्टनर या फैमिली मेंबर्स कर देते हैं.

वहीं, भारत में महिलाओं की हत्या में इंटीमेट पार्टनर का हाथ होने से जुड़े आंकड़े मौजूद नहीं हैं. हालांकि, ऑनर किलिंग के आंकड़े जरूर हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से 2021 के बीच आठ साल में ऑनर किलिंग में 494 महिलाओं की हत्या हो गई.

इसके अलावा, एनसीआरबी की रिपोर्ट ये भी बताती है कि भारत में दुष्कर्म के 40 फीसदी से ज्यादा मामलों में आरोपी कोई दोस्त, लिव-इन पार्टनर या सेपरेटेड हसबैंड होता है. 2021 में देशभर में रेप के 31 हजार 677 मामले सामने आए थे, जिनमें से 12 हजार 951 मामलों में आरोपी दोस्त, बॉयफ्रेंड, लिव-इन पार्टनर या सेपरेटेड हसबैंड था.

दुनिया में महिलाओं पर हिंसा पर क्या कहते हैं आंकड़े?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा से जुड़े आंकड़े रखता है. हालांकि, ये आंकड़े 2000 से 2018 के बीच के हैं. WHO ने इस रिपोर्ट में 156 देशों का डेटा दिया है. इसके मुताबिक, 19 देश ऐसे हैं जहां 15 से 49 साल की 40% से 53% महिलाएं पार्टनर या पति की शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार हैं.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, 15 से 49 साल की 35 फीसदी भारतीय महिलाओं ने कभी न कभी पति या पार्टनर की शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है. आंकड़ों के हवाले से देखा जाए कि इस मामले में भारतीय महिलाओं की हालत पाकिस्तानी महिलाओं से भी खराब है. इसी उम्र की 29 फीसदी पाकिस्तानी महिलाओं ने पति या पार्टनर की हिंसा को झेला है, जबकि, बांग्लादेश की 50 फीसदी महिलाएं हिंसा से जूझ चुकी या रही हैं.

आखिर में बात कानूनी प्रावधान की?

चाहे शादीशुदा हों या लिव-इन में रह रही हों, भारत में हर महिला को किसी भी तरह की हिंसा से बचाने का कानूनी तरीका है. एक महिला को घर के भीतर होने वाली हिंसा से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून लाया गया था. इस कानून के दायरे में सभी महिलाएं आती हैं जो किसी साझे घर में मां, बहन, पत्नी, बेटी, विधवा हो सकती है. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है.

कानून के तहत घर में रहने वाली महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, शरीर के अंग या मानसिक स्थिति को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता. इस कानून में शारीरिक, मानसिक, मौखिक, भावनात्मक, आर्थिक और यौन हिंसा को शामिल किया गया है. एक शादीशुदा महिला को दहेज के लिए भी प्रताड़ित नहीं किया जा सकता. साथ ही महिला या उनसे संबंध रखने वाले लोगों को भी डराया नहीं जा सकता. आईपीसी की धारा 498A के तहत, दहेज के लिए महिला को प्रताड़ित करना अपराध है. इसमें शारीरिक या मानसिक तौर पर दी जाने वाली प्रताड़ना को शामिल किया गया है.

इसके अलावा 1961 से दहेज निषेध कानून भी है. ये 498A का ही विस्तृत रूप है. इस कानून के तहत, दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. इतना ही नहीं, अगर कोई पुरुष शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण करता है तो आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप का केस दर्ज करवाया जा सकता है.

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