Ola Electric की कमाई 50% गिरी, 428 करोड़ का तगड़ा नुकसान
Ola Electric को महाराष्ट्र में बड़ा झटका लगा है, जहां 90% शोरूम बंद हो चुके हैं। कंपनी को Q1 FY25 में 428 करोड़ का नुकसान हुआ है और कमाई 50% घटकर 828 करोड़ रह गई है। यह घटनाक्रम EV इंडस्ट्री में ग्राहकों और निवेशकों दोनों के लिए चिंता का कारण बन गया है।

Ola ग्राहक परेशान, सर्विस सेंटर बंद, ओला का भरोसा डगमगाया
Ola Electric: उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. ओला इलेक्ट्रिक को महाराष्ट्र में बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है। यहां 90% तक शोरूम बंद हो चुके हैं और कंपनी को 428 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके साथ ही Ola की कुल कमाई में 50% तक की गिरावट दर्ज की गई है। यह EV सेक्टर के लिए खतरे की घंटी है।
Ola Electric को एक समय भारत की इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर क्रांति का चेहरा माना जाता था, लेकिन अब वह भारी संकट में है। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में कंपनी के लगभग 90% शोरूम बंद हो चुके हैं और करोड़ों रुपये का घाटा सामने आया है। इससे कंपनी के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
महाराष्ट्र में बंद हुए 90% ओला शोरूम
Ola Electric की स्थिति महाराष्ट्र में बेहद चिंताजनक हो गई है। कभी यह राज्य कंपनी के लिए सबसे मजबूत बाजारों में गिना जाता था, लेकिन अब हालत यह है कि यहां 90 फीसदी से ज्यादा शोरूम बंद हो चुके हैं। ग्राहक जब टेस्ट राइड या सर्विस के लिए पहुंचते हैं, तो या तो शोरूम बंद मिलते हैं या स्टाफ नदारद होता है। मुंबई, पुणे, नागपुर जैसे शहर जहां EV को सबसे पहले अपनाया गया, वहीं अब ओला की उपस्थिति लगभग खत्म हो गई है।
Ola को हुआ 428 करोड़ का नुकसान, रेवेन्यू में 50% गिरावट
- FY25 की पहली तिमाही (Q1) में ओला इलेक्ट्रिक को 428 करोड़ रुपए का बड़ा नुकसान हुआ है।
- इससे भी बड़ा झटका तब लगा जब कंपनी की कमाई 50% तक गिर गई। Q1 FY24 में Ola का रेवेन्यू 1,644 करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 828 करोड़ रुपये रह गया है।
- यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में प्रतियोगिता तेज हो रही है और ग्राहक ब्रांड से स्थायित्व की उम्मीद करते हैं।
महाराष्ट्र: कभी ओला का किला, अब बना संकट क्षेत्र
महाराष्ट्र में Ola ने सबसे ज्यादा निवेश किया था। यह राज्य EV अपनाने के मामले में अग्रणी रहा है। कंपनी ने यहां कई डीलरशिप खोले और बड़े स्तर पर मार्केटिंग की, लेकिन अब यही जगह ओला के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। शोरूम बंद हैं, ग्राहक भटक रहे हैं, और कंपनी कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रही है।
Ola की रीढ़ टूटी कैसे?
इस संकट के पीछे कई अहम कारण हैं-
1. ट्रेड सर्टिफिकेट की कमी: महाराष्ट्र RTO ने वैध प्रमाणपत्र न होने पर 75 से ज्यादा शोरूम बंद करवा दिए।
2. डायरेक्ट-टू-कस्टमर मॉडल की सीमाएं: शुरुआत में डिजिटल बिक्री पर जोर देने से कंपनी फिजिकल सर्विस नेटवर्क को मजबूत नहीं कर पाई।
3. ऑपरेटिंग खर्च: मुंबई और पुणे जैसे शहरों में किराया, स्टाफ और इन्वेंट्री का खर्च बहुत ज्यादा है।
4. नई लॉन्च की कमी: लंबे समय से कोई बड़ा प्रोडक्ट लॉन्च न होने से कस्टमर इंटरेस्ट घटा।
इन सभी वजहों से कंपनी का ऑपरेशन अस्थिर होता गया।
ग्राहकों पर इसका क्या असर?
शोरूम बंद होने का सीधा असर ग्राहकों पर पड़ा है-
- सर्विस की दिक्कतें: ग्राहक अब सर्विस और स्पेयर पार्ट्स के लिए परेशान हो रहे हैं।
- भरोसे की कमी: जब कंपनी का शोरूम ही स्थायी न हो, तो ग्राहक नए वाहन खरीदने में झिझकता है।
- रिसेल वैल्यू पर असर: सर्विस नेटवर्क कमजोर होने से ओला की बाइक्स की सेकंड हैंड वैल्यू पर भी असर पड़ता है।
EV इंडस्ट्री के लिए बड़ा संकेत
Ola सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं थी, बल्कि EV रिवॉल्यूशन की पहचान बन चुकी थी। ऐसे में Ola के इस संकट का प्रभाव पूरे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर इंडस्ट्री पर पड़ सकता है। निवेशक, डीलर, सप्लायर्स और यहां तक कि सरकारें भी यह सोचने पर मजबूर हो सकती हैं कि क्या EV कंपनियां लंबी रेस की खिलाड़ी हैं या सिर्फ शुरुआती शोर तक सीमित।
ओला को क्या करना चाहिए?
इस संकट से उबरने के लिए ओला को जल्द निर्णय लेने होंगे-
- फिजिकल सर्विस नेटवर्क को फिर से स्थापित करना
- ट्रेड सर्टिफिकेट की समस्याएं सुलझाना
- ग्राहकों से पारदर्शी संवाद बढ़ाना
- नए और टिकाऊ प्रोडक्ट लॉन्च करना
अगर कंपनी ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह उसका बाजार में अस्तित्व संकट में डाल सकता है।
क्या यह EV क्रांति की पहली बड़ी असफलता है?
ओला इलेक्ट्रिक की मौजूदा हालत इस सवाल को जन्म देती है कि क्या भारत की EV क्रांति समय से पहले शुरू हो गई?
यह जरूरी है कि कंपनियां सिर्फ ब्रांडिंग या फंडिंग पर भरोसा न करें, बल्कि ग्राउंड लेवल सपोर्ट सिस्टम को मजबूत बनाएं।