Pakistan की फजीहत, ईरान पर बमबारी के बाद Trump का नोबेल सिफारिश बना मज़ाक

Pakistan: ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद, नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पाकिस्तान की डोनाल्ड ट्रम्प की सिफारिश बुरी तरह विफल हो गई है। यह नामांकन, जो शुरू में भारत के साथ तनाव कम करने में ट्रम्प के कथित योगदान पर आधारित था, के परिणामस्वरूप पाकिस्तान के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में व्यापक आलोचना हुई है।

Pakistan: उज्जवल प्रदेश डेस्क. पाकिस्तान द्वारा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की घोषणा एक साहसिक कूटनीतिक कदम के रूप में शुरू हुई थी। शुक्रवार को पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार द्वारा हस्ताक्षरित एक आधिकारिक पत्र में यह नामांकन किया गया। इसमें ट्रंप की भूमिका को भारत-पाकिस्तान हालिया तनाव के दौरान तनाव कम करने वाले “शांतिदूत” के रूप में बताया गया।

लेकिन कुछ ही घंटों बाद, अमेरिका और इज़राइल ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्डो, इस्फहान और नतांज़ पर बमबारी कर दी। इस घटना ने Pakistan के इस कदम को भारी आलोचना में बदल दिया और देशभर में सरकार की निंदा शुरू हो गई।

‘अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून उसके हाथों पर है’

जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम (F) के प्रमुख मौलाना फज़लुर रहमान ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“जिस व्यक्ति के हाथ अफगानों और फिलिस्तीनियों के खून से सने हों, वह कैसे शांति का पैगंबर हो सकता है?”
उन्होंने तुरंत ट्रंप के नामांकन को वापस लेने की मांग की।

उन्होंने ट्रंप की इज़राइल समर्थक नीतियों और ग़ज़ा, सीरिया, लेबनान और अब ईरान में की गई सैन्य कार्रवाइयों में उनकी भूमिका की निंदा की। फज़ल ने यह भी कहा कि Pakistan सरकार का यह कदम केवल आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर के साथ ट्रंप की लंच मीटिंग से प्रभावित लगता है।

Pakistan मे बढ़ता राजनीतिक आक्रोश

सिर्फ विपक्ष ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के तमाम राजनीतिक दलों ने इस निर्णय की आलोचना की है।
पूर्व सीनेटर मुशाहिद हुसैन ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“जब ट्रंप अब शांति का प्रतिनिधि नहीं, बल्कि एक गैरकानूनी युद्ध का सूत्रधार बन गया है, तो पाकिस्तान को उसका नोबेल नामांकन तुरंत वापस लेना चाहिए।”
उन्होंने ट्रंप पर इज़रायली लॉबी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया और इसे ट्रंप के कार्यकाल की सबसे बड़ी भूल बताया।

PTI की कड़ी प्रतिक्रिया

Pakistan तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने अमेरिका की इस बमबारी को “अकारण हमला” बताया और ईरान की संप्रभुता का समर्थन किया।
PTI के विचार मंच के प्रमुख रऊफ हसन ने ट्रंप को नोबेल के लिए नामित किए जाने को “राष्ट्रीय शर्म और असहनीय अपमान” करार दिया।

Pakistan: राजनयिक और सामाजिक क्षेत्र से भी निंदा

पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने इस निर्णय को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि यह जनता की भावनाओं के खिलाफ है।
वरिष्ठ राजनेता अफरासियाब खट्टक ने इसे “चापलूसी की पराकाष्ठा” कहा, जो जिम्मेदार कूटनीति के अनुकूल नहीं।

जमात-ए-इस्लामी प्रमुख नईमुर रहमान ने कहा कि यह कदम “हमारी राष्ट्रीय गरिमा को ठेस” पहुंचाता है।
लेखिका फातिमा भुट्टो ने X पर सवाल उठाया — “क्या पाकिस्तान अब ट्रंप का नोबेल नामांकन वापस लेगा?”

क्या यह एक कूटनीतिक चूक थी?

यह पूरा विवाद (Pakistan) इस बात की ओर इशारा करता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति को एक ऐसे नेता के साथ जोड़ना कितना जोखिम भरा है जिसकी पहचान ड्रोन हमलों, मध्य पूर्व में तनाव और विवादित युद्धों के समर्थन के लिए रही है।

पत्रकार मरयाना बाबर ने लिखा, “आज पाकिस्तान की छवि भी उतनी अच्छी नहीं लग रही,” और साथ ही ट्रंप के नामांकन वाली आधिकारिक पोस्ट भी साझा की।

Mayank Parihar

उज्जवल प्रदेश डॉट कॉम में बतौर सब एडिटर कार्यरत मयंक परिहार को डिजिटल मीडिया में 4 साल से अधिक का अनुभव है। टेक्नोलॉजी, ट्रैवल-टुरिज़म, एंटेरटैनमेंट, बिजनेस साथ ही हाईपर-लोकल कंटेंट… More »

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