Personality Development: इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट पर्सनालिटी वालों से ज्यादा सुखी रहते हैं एंबीवर्ट
Personality Development: स्विटजरलैंड के विश्वप्रसिद्ध साइकोलॉजिस्ट कार्ल गुस्ताव युंग ने ह्यूमन पर्सनालिटी को दो हिस्सों में बांटा। इसमें एक इंट्रोवर्ट और दूसरे एक्स्ट्रोवर्ट होते हैं। हालांकि एक इनमें से बीच के लोग भी होते हैं जिन्हें एंबीवर्ट कहा जाता है।

Personality Development: स्विटजरलैंड के विश्वप्रसिद्ध साइकोलॉजिस्ट कार्ल गुस्ताव युंग ने ह्यूमन पर्सनालिटी को दो हिस्सों में बांटा। इसमें एक इंट्रोवर्ट और दूसरे एक्स्ट्रोवर्ट होते हैं। हालांकि एक इनमें से बीच के लोग भी होते हैं जिन्हें एंबीवर्ट कहा जाता है। लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट पर्सनालिटी वालों की तुलना में एंबीवर्ट पर्सनालिटी वाले लोग ज्यादा सुखी रहते हैं। यह माहौल देखकर अपने आपको ढाल लेते हैं। यही कारण है कि एंबीवर्ट लोगों के विवाद भी कम होते हैं और वे जीवन में ज्यादा सुखी रहते हैं।
एक दूसरे की पर्सनालिटी के विपरीत होने हैं इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट व्यक्ति
इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट दोनों एक-दूसरे से बिलकुल विपरीत होते हैं और आज भी इन्हें समझने में लोग उलझे रहते हैं। हमारे घर-परिवार, स्कूल-कॉलेज में कई सारे ऐसे लोग होते हैं जो अकेले रहना पसंद करते हैं। कई बार हम उन्हें घमंडी या दब्बू समझते हैं। वहीं कुछ लोग अधिक बोलते हैं, ग्रुप में रहते हैं। हम उन्हें अटेंशन सीकर समझ बैठते हैं जबकि ऐसा होता नहीं है।
इंट्रोवर्ट के भी होते हैं चुनिंदा दोस्त
कई लोग यह गलतफहमी पाल लेते हैं कि इंट्रोवर्ट्स के दोस्त नहीं होते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। इंट्रोवर्ट्स के दोस्त होते हैं। वे अपने करीबी दोस्तों के साथ खुलकर बातचीत भी करते हैं। इंट्रोवर्ट्स में कुछ खास लक्षण हो सकते हैं। हममें से बहुत लोग इन दोनों के बीच के होते हैं। ऐसे लोगों को एंबीवर्ट (अर्द्धबहिमुर्खी) कहा जाता है। एंबिवर्ट्स दोनों की विशेषताएं रखते हैं। वे कभी अकेले रहते हैं और कभी लोगों के बीच रहकर एनर्जी हासिल करते हैं। इंट्रोवर्ट्स जब अकेले होते हैं तो वे रिलैक्स महसूस करते हैं। वे अकेले होने पर ज्यादा फ्रेश फील करते हैं। ऐसे लोगों का रुझान अक्सर सोलो एक्टिविटीज में होता है। वे किताबें पढ़ना, लिखना या गेमिंग करना पसंद करते हैं।
समाज में हर जगह एक्टिव रहते हैं एक्स्ट्रोवर्ट्स
एक्स्ट्रोवर्ट्स को सोशल सेटिंग्स में ज्यादा एनर्जी मिलती है। वे दूसरों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं, नए दोस्त बनाते हैं और किसी ग्रुप के साथ काम करना इन्हें खूब पसंद होता है। ये लोग समाज में हर जगह एक्टिव रहते हैं और अकेले बोरियत महसूस करते हैं। एक्स्ट्रोवर्ट्स को लोगों के बीच मजा आता है।
ऐसी एक्टिविटीज में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जहां नए लोगों से मिलना-जुलना होता है। ऐसे लोग खुलकर अपनी बात रखते हैं। इनके लिए नए दोस्त बनाना आसान होता है। ये जल्दी ही नए लोगों में घुल-मिल जाते हैं। इंट्रोवर्ट और एक्स्ट्रोवर्ट दो अलग-अलग व्यक्तित्व प्रकार हैं और इन दोनों में से कोई भी एक बेहतर नहीं है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप कौन हैं और आप अपनी एनर्जी को कैसे चैनल करते हैं।
इंट्रोवर्ट होने के फायदे
इनकी सोचने की क्षमता अधिक होती है, ये किसी भी बात को गहराई से सोचते हैं। ये काफी सोच-विचार के बाद ही निर्णय लेते हैं। ये लोग संवेदनशील होते हैं और लोगों से सिम्पैथी रखते हैं। इनके रिश्ते बहुत मजबूत होते हैं। ये अपने अकेले समय का अच्छे से उपयोग करते हैं और अपनी कंपनी का आनंद लेते हैं।
इंट्रोवर्ट होने की चुनौतियां
इनकी चुप्पी को कई बार इनकी शर्मिंदगी या उदासीनता समझ लिया जाता है। ये सोशल गैदरिंग में यह अपनी एनर्जी खो बैठते हैं, जिससे वे कम उत्साही दिखाई देते हैं। लंबे समय तक अकेले रहने से अकेलापन और डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम्स पैदा हो सकती हैं।
एक्स्ट्रोवर्ट्स के फायदे
ये लोग सहजता से नए दोस्त बना लेते हैं और समाज में आसानी से घुलमिल जाते हैं। इनमें बेहतर कम्युनिकेशन स्किल होता है जिससे टीम वर्क में मदद मिलती हैं। ये लोग अधिक पॉजिटिव इमोशंस एक्सपीरियंस करते हैं, जिससे वे खुश रहते हैं और नए माहौल में जल्दी घुलमिल जाते हैं।
एक्स्ट्रोवर्ट्स होने की चुनौतियां
ज्यादा लोगों के साथ समय बिताने से इन्हें थकान हो सकती है। रिश्तों को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। कभी-कभी यह दूसरों के विचारों को सुनने की बजाय अपनी बातों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जिससे सामने वाले को नाराज कर बैठते हैं।
अपनी पर्सनालिटी को अपनाने के टिप्स
चाहे आप इंट्रोवर्ट हों या एक्स्ट्रोवर्ट, सबसे जरूरी बात यह है कि आप अपने पर्सनालिटी को स्वीकार करें और उसे अपनाएं। स्ट्रेंथ और कमजोरी को पहचानें और उसी के हिसाब से जीवन जीने की कोशिश करें।