PM Fasal Bima Yojana: मप्र के 12 जिलों में आपदा से चौपट हुई फसलों का मुआवजा देगी सरकार
PM Fasal Bima Yojana: उज्जवल प्रदेश डेस्क. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदा से फसलों को हुये नुकसान का मुआवजा प्रधानमंत्री योजना के तहत किसानों को दिया जा रहा है। मार्च 2025 में मप्र में हुई ओलावृष्टि से सैकड़ों हेक्टेयर फसल चौपट हो गई है।

PM Fasal Bima Yojana: उज्जवल प्रदेश डेस्क. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदा से फसलों को हुये नुकसान का मुआवजा प्रधानमंत्री योजना के तहत किसानों को दिया जा रहा है। मार्च 2025 में मप्र में हुई ओलावृष्टि से सैकड़ों हेक्टेयर फसल चौपट हो गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) के तहत प्राकृतिक आपदा से फसलों को हुये नुकसान का मुआवजा प्रधानमंत्री योजना के तहत किसानों को दिया जा रहा है। मार्च 2025 में मप्र में हुई ओलावृष्टि से सैकड़ों हेक्टेयर फसल चौपट हो गई है। बता दें कि 22 मार्च 2025 तक हुई बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि से कई जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से किसानों के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा दिए जाने का फैसला लिया है।
मप्र के 12 जिले हैं आपदा की चपेट में
एमपी के 12 जिलों में किसानों की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। वहीं मध्यप्रदेश में 22 मार्च तक बेमौसमी बारिश और ओलावष्टि हुई जिससे किसानों की खेत में खड़ी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। एमपी के जिन जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है, उसमें उमरिया, मैहर, सागर, शहडोल, सिंगरौली, अनुपपुर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, सिवनी, कटनी और डिंडौरी जिले हैं।
मप्र में अब तक 12 जिलों की कुल 29 तहसीलों के कुल 275 गांव में 2160 किसानों की लगभग 2194 हैक्टेयर में लगी फसल में नुकसान का आंकलन किया गया है। वहीं आकाशीय बिजली से 05 जनहानि, 16 पशुओं की हानि और 2 मकानों को नुकसान हुआ है।
मप्र के आपदा जिलों में सर्वे का काम शुरू
राजस्व विभाग के अफसरों के अनुसार सबसे पहले सिंगरौली जिले की 3 तहसीलों के 50 गांवों में, मैहर जिले की 1 तहसील के 15 गांवों में, शहडोल जिले की 4 तहसील के 34 गांवों में, अनूपपुर जिले की 2 तहसीलों के 2 गांवों में, उमरिया जिले की 2 तहसील के 7 गांव में, दमोह जिले की 6 तहसीलों के 105 गांव में, पन्ना जिले की 2 तहसीलों के 2 गांव में, जबलपुर जिले की 1 तहसील के 2 गांव में, कटनी जिले की 2 तहसील में, सिवनी जिले की 1 तहसील के 10 गांव में, डिंडौरी जिले की 3 तहसील के 20 गांव में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। इसके अलावा सागर जिले की 2 तहसीलों के 2 गांव में 1 जनहानि तथा 2 पशु हानि हुई है।
अब तक किसानों को कितनी मिली मुआवजे की राशि
विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024–25 के दौरान 21 मार्च 2025 तक अग्नि पीड़ितों को 16.02 करोड़ रुपए, ओलावृष्टि से क्षति होने पर 216.44 करोड़ रुपए, बाढ़ या अतिवृष्टि से क्षति होने पर 104.04 करोड़ रुपए, सर्पदंश से मृत्यु होने पर 98.51 करोड़ रुपए, पाला से क्षति होने पर 0.13 करोड़ रुपए, कीट प्रकोप से फसल क्षति के लिए 13.13 करोड़ रुपए, वन्य प्राणियों द्वारा फसल क्षति में 2.18 करोड़ रुपए, राजस्व पुस्तक परिपत्र में 6–4 के तहत अन्य मदों में 154.51 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस प्रकार अब तक इन घटनाओं के लिए प्रदेश सरकार की ओर से 643.92 करोड़ रुपए आपदा प्रभावितों को वितरित की गई है।
72 घंटे के अंदर सूचित कर सकते हैं
मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे लगातार किया जा रहा है। इस तरह के मामले में जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया हुआ है और उनकी फसलों को बेमौसमी बारिश या ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है वे बीमित किसान नुकसान की सूचना कृषि रक्षक हेल्पाइन नंबर 14447 पर दे सकते हैं। इसके अलावा किसान अपनी बीमा कंपनी या अपने नजदीकी कृषि विभाग के अफसरों को भी 72 घंटे के अंदर सूचित कर सकते हैं।
फसल बीमा क्लेम लेने के हकदार होते हैं
राज्य सरकार व्यक्तिगत कृषि के आधार पर राज्य के स्थानीयकृत आपदाओं के लिए अलग प्रावधान बनाती है। अधिसूचित क्षेत्र में अलग–अलग कृषि जमरप को प्रभावित करने वाले ओलावृष्टि, भूस्खलन और बाढ़ जैसे स्थानीय खतरों से होने वाले नुकसान या क्षति जैसे जोखिम, इस कवरेज के तहत आते हैं, इन परिस्थितियों में किसान मुआवजे या फसल बीमा क्लेम लेने के हकदार होते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के निमयों के अनुसार किसानों को 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल नुकसान होने पर मुआवजा या क्लेम दिया जाता है।
25 प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति दावे के पात्र बन सकते हैं
मप्र के तहसील क्षेत्रों में अधिकांश बीमाकृत किसान बुवाई करना चाहते हैं, जहां किसान बुवाई करना चाहते हैं, लेकिन प्रतिकूल मौसम की वजह से बीमाकृत फसलें बोने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में प्रतिकूल मौसम में बुवाई का पूरा खर्च किसान को वहन करना पड़ता है। इसके बाद यदि फसल क्षति होती है तो प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत बीमित किसान बीमा राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति दावे के पात्र बन सकते हैं।