PM Kusum Yojana: अब किसान बेचेंगे बिजली, खरीदेगी सरकार
PM Kusum Yojana: केंन्द्र सरकार द्वारा चलाई गई पीएम कुसुम योजना किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है। इस योजना को संचालित करने के लए राज्य सरकार भी अलग से बजट जारी करती है। मतलब केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के बजट से किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।

PM Kusum Yojana: उज्जवल प्रदेश डेस्क. केंन्द्र सरकार द्वारा चलाई गई पीएम कुसुम योजना किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है। इस योजना को संचालित करने के लए राज्य सरकार भी अलग से बजट जारी करती है। मतलब केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के बजट से किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
बता दें कि पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) के तहत सरकार ने 169 किसानों के साथ पॉवर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) करने का निर्णय लिया है। इससे देश के किसान 100 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करके सरकार को 3।25 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली का बेच सकेंगे। चयनित किसानों को 21 व 22 फरवरी 2025 को औपचारिक समझौता करना होगा।
बंजर और कम उपजाऊ ज़मीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे
देश के किसानों के लिए शुरू की गइर् प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना का मकसद है कि मार्च 2026 तक सौर ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर करीब 34,800 मेगावाट हर हाल में करने का उद्देश्य है। इस योजना के अंतर्गत बंजर और कम उपजाऊ ज़मीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर किसानों की आय बढ़ेगी।
बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए भी उपयोगी होगा
बता दें कि यह योजना किसानों के लिए शुरू की गई है, जिससे वे सौर ऊर्जा से अपने खेतों की सिंचाई कर सकें। बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए भी उपयोगी होगा, क्योंकि उत्तर प्रदेश में आवेदन प्रक्रिया थोड़ी अलग है। हालांकि यह 2019 में केन्द्र सरकार द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को बिजली की समस्या से उन्हें राहत दिलाना और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। यह योजना देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है।
बंजर या गैर-कृषि योग्य ज़मीन पर लगा सकते हैं प्लांट
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के तहत, बंजर या गैर-कृषि योग्य ज़मीन पर 500 किलोवाट से 2 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा सकते हैं। इस योजना के तहत कृषि भूमि पर भी सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा सकते हैं।
योजना के ये हैं लाभ
- सौर पंप लगाने के लिए किसानों को 30% से 90% तक की सब्सिडी मिलती है।
- डीज़ल और अन्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होती है।
- बिजली की बचत होती है।
- अधिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है।
- हरित ऊर्जा का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिलता है।
- बिजली की कम लागत से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
देशभर में संचालित की जा रही पीएम कुसुम योजना “C” योजना का लक्ष्य कृषि फीडरों का सौर ऊर्जीकरण करना है। प्रदेश में सिंचाई के लिये सतत बिजली आपूर्ति के लिये 8 हजार समर्पित कृषि फीडर स्थापित किये गये हैं, जिनका निरंतर विस्तार प्रक्रियाधीन है।
पीएम कुसुम “C” में सोलर संयंत्र की स्थापना के लिये 1.5 करोड़ रूपये प्रति मेगावाट भारत सरकार द्वारा सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान है। वहीं मप्र में इस योजना में 2000 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। योजना में प्रस्ताव देने वालों को निविदा से 500 मेगावाट क्षमता आवंटित भी की जा चुकी है। अभी भी 1500 मेगावाट की क्षमता की विद्युत उत्पादन का लाभ दिया जाना है।