राज ठाकरे ने केंद्र सरकार की Tri-lingual policy का किया आलोचना, कहा हर जगह हिन्दी थोपने नहीं देंगे
Tri-lingual policy: हिन्दी थोपने का विवाद अब महाराष्ट्र पहुंच चुका है। महाराष्ट्र की नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने केंद्र सरकार की तीन-भाषा नीति की आलोचना की है।

Tri-lingual policy: उज्जवल प्रदेश, मुंबई. त्रि-भाषा फॉर्मूले के तहत हिन्दी थोपने का विवाद अब महाराष्ट्र पहुंच चुका है। महाराष्ट्र की नव निर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने केंद्र सरकार की तीन-भाषा नीति की आलोचना की है और कहा है कि वह हर जगह हिन्दी थोपने नहीं देंगे। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “आपका जो भी त्रि-भाषा फॉर्मूला है, उसे सरकारी मामलों तक ही सीमित रखिए, उसे शिक्षा में न लाएं।”
यहां से देखें पोस्ट..
राज्य शालेय अभ्यासक्रम आराखडा २०२४ नुसार महाराष्ट्रात पहिलीपासूनच हिंदी ही भाषा अनिवार्य करण्यात आली आहे. मी स्वच्छ शब्दांत सांगतो की ही सक्ती महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना खपवून घेणार नाही.
केंद्र सरकारचं सध्या जे सर्वत्र ‘हिंदीकरण’ करण्याचे प्रयत्न सुरू आहेत, ते या राज्यात आम्ही…
— Raj Thackeray (@RajThackeray) April 17, 2025
उन्होंने आगे कहा कि MNS केंद्र सरकार के हर चीज को ‘हिंदीकृत’ करने के मौजूदा प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देगी। उन्होंने लिखा, “हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं! अगर आप महाराष्ट्र को हिंदी के रूप में चित्रित करने की कोशिश करेंगे, तो महाराष्ट्र में संघर्ष होना तय है। अगर आप यह सब देखेंगे, तो आपको एहसास होगा कि सरकार जानबूझकर यह संघर्ष पैदा कर रही है। क्या यह सब आगामी चुनावों में मराठी और गैर-मराठी के बीच संघर्ष पैदा करने और इसका फायदा उठाने की कोशिश है?”
हाल ही में महाराष्ट्र में लागू हुआ त्रि-भाषा फॉर्मूला
राज ठाकरे का यह बयान तब आया है, जब राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने पिछले दिनों कई राज्यों में हिन्दी भाषा को लेकर उपजे विरोध के बीच कक्षा 1 से 5 तक हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया है। त्रिभाषा फॉर्मूले का नया पाठ्यक्रम 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से लागू किया गया है। महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत नया शैक्षणिक ढांचा लागू करने की घोषणा करते हुए हिन्दी को तीसरी भाषा के तौर पर अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत अब राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाएगी।
CM फडणवीस ने किया बचाव
इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के सरकार के फैसले का बचाव किया है और केंद्र की इस नीति की प्रशंसा की है। फडणवीस ने कहा, “अगर कोई अंग्रेजी सीखना चाहता है, तो वह अंग्रेजी सीख सकता है। अगर कोई छात्र कोई अन्य भाषा सीखना चाहता है, तो किसी को भी अन्य भाषाएँ सीखने पर कोई रोक नहीं है। हालांकि, सभी को मराठी आनी चाहिए। साथ ही, हमारे देश की अन्य भाषाओं को भी जानना चाहिए। केंद्र सरकार ने इस बारे में सोचा है। केंद्र सरकार को लगता है कि हमारे देश में संचार की एक भाषा होनी चाहिए। यहr प्रयास किया गया है।”