Ration Card Rules 2025: अब बिना अंगूठा भी मिलेगा अनाज इस नई तकनीक का करें उपयोग

Ration Card Rules 2025: अगर अंगूठे का निशान मिटने या आधार से मैच न करने के कारण राशन नहीं मिल रहा है, तो चिंता न करें। अब आइरिस स्कैनिंग के जरिए भी राशन सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। सरकार ने राशन डिपो पर आइरिस मशीनें लगवानी शुरू कर दी हैं, जिससे सभी को लाभ मिल सके।

Ration Card Rules 2025: उज्जवल प्रदेश डेस्क. देश में करोड़ों लोग सरकारी राशन प्रणाली पर निर्भर हैं। परंतु जब किसी का अंगूठे का निशान मिट जाता है या आधार से मैच नहीं करता, तो उन्हें राशन लेने में परेशानी होती है। अब इस समस्या का समाधान सरकार ने ढूंढ़ निकाला है, जिससे बिना अंगूठा लगाए भी राशन मिल सकेगा।

भारत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके माध्यम से देश के गरीब, निम्न आय वर्ग के लोग और जरूरतमंद परिवारों को रियायती दरों पर राशन (गेहूं, चावल, दाल आदि) उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए राशन कार्ड होना अनिवार्य है।

परंतु कई बार तकनीकी या जैविक कारणों से लोगों के अंगूठे का निशान (फिंगरप्रिंट) साफ नहीं रहता या आधार डाटा से मेल नहीं खाता, जिससे राशन मिलने में परेशानी होती है। ऐसे लाखों राशन कार्डधारकों के लिए सरकार ने राहत की बड़ी खबर दी है।

राशन कार्ड और अंगूठे का महत्व

अब तक सरकार की यह व्यवस्था थी कि किसी भी व्यक्ति को राशन लेने के लिए अपने राशन कार्ड के साथ राशन डिपो पर जाकर POS मशीन पर अंगूठा लगाना होता था। यह अंगूठा सीधे आधार कार्ड से लिंक होता था। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती थी कि राशन सही व्यक्ति को ही मिल रहा है।

लेकिन समय के साथ बहुत से लोगों की अंगुलियों के निशान हल्के पड़ गए हैं, मिट चुके हैं, या फिर किसी कारणवश आधार के डाटा से मेल नहीं खाते। ऐसे में POS मशीन उनका फिंगरप्रिंट स्वीकार नहीं करती और उन्हें राशन नहीं मिल पाता।

अब बिना अंगूठा लगाए भी मिलेगा राशन

  • सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। अब अगर किसी व्यक्ति का अंगूठे का निशान मिट गया है या आधार से मेल नहीं खा रहा है, तो उसे राशन देने से इनकार नहीं किया जाएगा।
  • इसके लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था तैयार की गई है- आइरिस स्कैनिंग।

आइरिस स्कैन से मिलेगा राशन

आधार कार्ड में सिर्फ अंगूठे का ही नहीं, बल्कि आंखों की पुतलियों यानी आईरिस (Iris) का भी बायोमेट्रिक डाटा दर्ज होता है। अब सरकार ने अधिकांश राशन डिपो पर आईरिस स्कैनर मशीनें लगवानी शुरू कर दी हैं। यह तकनीक उन लोगों के लिए वरदान साबित होगी जिनके फिंगरप्रिंट नहीं मिलते। अब जब अंगूठा POS मशीन पर काम नहीं करेगा, तो डीलर व्यक्ति की आंखों की स्कैनिंग करके उसे राशन प्रदान करेगा।

किन राज्यों में लागू हो रही है यह सुविधा?

फिलहाल यह सुविधा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में लागू की जा रही है। उत्तर प्रदेश में लगभग सभी जिलों में आईरिस मशीनें राशन डिपो पर भेजी जा चुकी हैं और इसका लाभ लोगों को मिलने लगा है।
सरकार का लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक सभी राज्यों में यह व्यवस्था पूरी तरह लागू हो जाए।

अगर अंगूठा और आइरिस दोनों फेल हो जाएं तो?

यदि दुर्लभ स्थिति में अंगूठा और आईरिस दोनों से पहचान नहीं हो पाती है, तो भी सरकार ने समाधान दिया है। राशन कार्ड धारक किसी परिवार के दूसरे सदस्य के बायोमेट्रिक से राशन ले सकते हैं। यदि यह भी संभव न हो तो ऑथेंटिकेशन फेल रिपोर्ट बनाकर मैनुअल तरीके से राशन वितरण किया जाएगा।

राशन कार्ड धारकों को क्या करना चाहिए?

  • अगर आपके अंगूठे का निशान मिट चुका है या बार-बार फेल हो रहा है, तो घबराएं नहीं।
  • राशन डिपो पर जाकर डीलर से आईरिस स्कैनिंग की मांग करें।
  • अगर आपके डिपो पर आईरिस मशीन नहीं है, तो आप शिकायत कर सकते हैं।
  • किसी भी स्थिति में राशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

तकनीकी सुधार और पारदर्शिता की ओर कदम

  • सरकार द्वारा आईरिस स्कैन की सुविधा लागू करना पारदर्शी और समावेशी वितरण प्रणाली की ओर बड़ा कदम है। इससे कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति राशन से वंचित नहीं रहेगा, चाहे उसके फिंगरप्रिंट सही से काम करें या नहीं।
  • इस नई तकनीक से राशन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को भी रोका जा सकेगा और लाभार्थियों को उनका पूरा हक मिलेगा।

यह सुविधा गरीब और जरूरतमंदों के अधिकारों की रक्षा के लिए

  • राशन प्रणाली में तकनीकी सुधारों से लोगों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। यदि आपका अंगूठा काम नहीं कर रहा है या आधार से मैच नहीं करता, तो अब आप आईरिस स्कैनिंग के जरिए भी राशन प्राप्त कर सकते हैं। यह सुविधा गरीब और जरूरतमंदों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।
  • सरकार का उद्देश्य है कि हर पात्र व्यक्ति को समय पर राशन मिले और कोई भी भूखा न सोए। ऐसे में जरूरत है जागरूक रहने की और अपने अधिकारों को पहचानने की।
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Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन… More »

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