SC बोला-‘कमिश्नर के बेटे का अधिकार नहीं है अनुकंपा नियुक्ति, बल्कि गुजारे का आधार है’
SC ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखें। परिवार को मुश्किलों का सामना करने पर गुजारे का आधार हो।

SC: उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. अनुकंपा (Compassionate) नियुक्ति (Appointment) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बड़ा फैसला सुनाया है। मंगलवार को शीर्ष न्यायालय ने एक से ज्यादा घर और कई एकड़ जमीन वाले एक युवक को पिता के बाद नौकरी देने से इनकार कर दिया है।
याचिकाकर्ता बेटा (Son) उसके पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति चाह रहा था। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति अधिकार (Right) नहीं (Not), बल्कि परिवार के गुजारे (Livelihood) का आधार (Base) है। शीर्ष न्यायालय पहले भी यह कहता रहा है कि अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही ऐसी नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों का जरूरी मानदंडों को पूरा करना अनिवार्य है।
रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने याचिकाकर्ता रवि कुमार जेफ के पिता सेंट्रल एक्साइज में प्रधान आयुक्त (Commissioners) थे। अगस्त 2015 में उनका निधन हो गया था। अब रवि ने CGST और सेंट्रल एक्साइज (जयपुर जोन) राजस्थान में मुख्य आयुक्त के कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की है। जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन ने याचिका खारिज कर दी है।
याचिकाकर्ता के पिता दो घर, 33 एकड़ जमीन और 85 हजार रुपये परिवार को मासिक पेंशन छोड़ गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल की तरफ से रवि की अनुकंपा नियुक्ति की याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने डिपार्टमेंट के इस दावे को बरकरार रखा कि परिवार के पास सुविधाओं के साथ रहने के पर्याप्त संसाधन हैं। खबर है कि विभागीय समिति ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए 19 आवेदकों के नाम पर विचार किया था, जिनमें से सिर्फ 3 को पात्र माना गया।
विभाग का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। ऐसे रोजगार के दावों पर सिर्फ वहां विचार किया जाता है, जहां परिवार मुश्किलों का सामना कर रहा हो। समिति ने कहा, ‘दिवंगत सरकारी कर्मचारी के परिवार में पत्नी और उनके बेटा-बेटी हैं। बेटा और बेटी दोनों ही बेरोजगार है और शादी नहीं हुई है।
परिवार के पास गांव में एक घर है, 33 एकड़ कृषि भूमि है, जयपुर में HIG घर है…। परिवार को 85 हजार रुपये मासिक पेंशन मिल रही है। परिवार की मासिक आय उनकी आजीविका के साथ सामाजिक दायित्वों के लिए पर्याप्त नजर आ रही है।’