अब नमक से चलेंगे स्कूटर, Sea Salt बैटरी से शुरू हुई इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति

Sea Salt Scooter: चीन में Sea Salt बैटरी से चलने वाले स्कूटरों ने नई क्रांति की शुरुआत की है। सोडियम बैटरी सस्ती, पर्यावरण के अनुकूल और तेजी से चार्ज होने वाली तकनीक है। भारत में यह तकनीक फिलहाल रिसर्च स्टेज में है लेकिन निकट भविष्य में बड़े बदलाव की उम्मीद है।

Sea Salt Scooter: कीमत और चार्जिंग में जबरदस्त फायदे

Sea Salt Scooter: उज्जवल प्रदेश डेस्क. चीन में Sea Salt से बनी सोडियम बैटरियों से चलने वाले स्कूटर्स अब सड़कों पर हैं। ये 15 मिनट में 80 प्रतिशत चार्ज हो जाते हैं और लिथियम बैटरियों की तुलना में सस्ते हैं। भारत में यह तकनीक अभी विकास के चरण में है लेकिन जल्द ही हकीकत बन सकती है।

अब स्कूटर पेट्रोल या लिथियम से नहीं, बल्कि नमक से चलेंगे। चीन में Sea Salt से बनी सोडियम आयन बैटरी से चलने वाले स्कूटर्स की शुरुआत हो गई है। ये स्कूटर न केवल कम कीमत वाले हैं बल्कि तेजी से चार्ज भी होते हैं और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं।

स्कूटर की दुनिया में Sea Salt बैटरी का आगमन

चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में नया अध्याय जोड़ दिया है। अब तक जहां लिथियम आयन बैटरी मुख्य भूमिका निभा रही थी, वहीं अब Sea Salt से तैयार की गई सोडियम आयन बैटरी ने दस्तक दे दी है। ये बैटरियां लिथियम की तुलना में सस्ती, अधिक मात्रा में उपलब्ध और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं।

Sea Salt बैटरी क्या है?

सोडियम आयन बैटरियां समुद्री नमक से तैयार की जाती हैं, जिससे इन्हें Sea Salt बैटरी भी कहा जाता है। इस तकनीक में लिथियम की जगह सोडियम का उपयोग होता है, जो पृथ्वी पर अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये बैटरियां न केवल निर्माण में सस्ती होती हैं, बल्कि बेहद कम समय में चार्ज हो सकती हैं।

स्कूटरों में पहली बार उपयोग

चीन में Sea Salt बैटरी का पहला सार्वजनिक उपयोग हांग्जो शहर में किया गया। वहां एक मॉल के बाहर स्कूटरों को विशेष चार्जिंग स्टेशनों पर चार्ज किया गया, जहां महज 15 मिनट में बैटरी 80 प्रतिशत तक चार्ज हो गई। यह प्रदर्शन इस तकनीक की व्यवहारिकता को साबित करता है।

कीमत और उपलब्धता

चीन में इन स्कूटर्स की कीमत लगभग 35,000 रुपये से शुरू होकर 51,000 रुपये तक जाती है। यह कीमत आम लिथियम बैटरी वाले इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की तुलना में काफी कम है। इनकी कम कीमत और बेहतर चार्जिंग समय इसे आम उपयोगकर्ता के लिए आदर्श विकल्प बनाते हैं।

क्यों है यह तकनीक लिथियम से बेहतर?

लिथियम बैटरियों की तुलना में सोडियम बैटरियां कई मामलों में फायदेमंद हैं:

  • निर्माण में सस्ती
  • तेजी से चार्ज होने वाली
  • पर्यावरण के लिए सुरक्षित
  • आसानी से उपलब्ध कच्चा माल
  • अधिक टिकाऊ और पुनः उपयोग में सक्षम

लिथियम की सीमित उपलब्धता और खनन से होने वाला पर्यावरण नुकसान भी सोडियम तकनीक को बेहतर विकल्प बनाता है।

पर्यावरण के लिए वरदान

लिथियम के खनन से जल स्रोतों पर असर, भारी ऊर्जा खपत और भूमि क्षरण जैसी समस्याएं होती हैं। वहीं सोडियम एक प्राकृतिक और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्व है, जिसे समुद्री जल से निकाला जा सकता है। इससे न केवल लागत कम होती है, बल्कि पर्यावरण पर भी न्यूनतम प्रभाव पड़ता है।

भारत में स्थिति क्या है?

भारत में फिलहाल यह तकनीक शुरुआती अनुसंधान के चरण में है। हालांकि सरकार और कंपनियां इस दिशा में गंभीर हैं। Ola Electric, Ather Energy और Hero Electric जैसी कंपनियां वैकल्पिक बैटरी तकनीकों पर काम कर रही हैं। सरकार भी आत्मनिर्भर बैटरी निर्माण के लिए योजनाएं बना रही है।

क्यों जरूरी है भारत के लिए यह तकनीक?

भारत में ईंधन की बढ़ती कीमतें, प्रदूषण और आयात पर निर्भरता को देखते हुए वैकल्पिक और सस्ते ऊर्जा स्रोतों की सख्त जरूरत है। Sea Salt बैटरी जैसी तकनीक देश को बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर बना सकती है। इससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी ईवी को अपनाना आसान होगा।

चार्जिंग की सहूलियत

Sea Salt बैटरी की सबसे बड़ी खासियत है इसकी तेजी से चार्जिंग क्षमता। यह सिर्फ 15 मिनट में 80 प्रतिशत तक चार्ज हो सकती है। इससे लंबी दूरी की यात्रा करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए बार-बार चार्जिंग की परेशानी खत्म हो जाएगी। भविष्य में चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क बढ़ने के साथ यह तकनीक और प्रभावी होगी।

कंपनियों की तैयारी

भारत में कई स्टार्टअप और बड़ी कंपनियां इस तकनीक को लेकर रिसर्च कर रही हैं। IITs, IISc और अन्य संस्थान भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। सरकार भी उत्पादन से जुड़ी योजनाएं और सब्सिडी देने की दिशा में काम कर रही है। इसके परिणामस्वरूप अगले 2–3 वर्षों में भारतीय सड़कों पर नमक से चलने वाले स्कूटर देखे जा सकते हैं।

उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा?

कम कीमत, लंबी रेंज, कम चार्जिंग समय और बेहतर टिकाऊपन जैसी विशेषताओं के चलते Sea Salt बैटरी से चलने वाले स्कूटर आम ग्राहकों के लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं। इससे खासकर कॉलेज स्टूडेंट्स, ऑफिस जाने वाले युवा और डिलीवरी सर्विस सेक्टर को सीधा लाभ मिलेगा।

भविष्य की दिशा

चीन में शुरू हुई Sea Salt बैटरी तकनीक आने वाले वर्षों में वैश्विक परिवहन प्रणाली को पूरी तरह बदल सकती है। यदि भारत इसे सही दिशा और गति में अपनाता है, तो हम सस्ते, टिकाऊ और पर्यावरण-सुलभ ईवी युग में प्रवेश कर सकते हैं।

Sourabh Mathur

सौरभ माथुर एक अनुभवी न्यूज़ एडिटर हैं, जिनके पास 13 वर्षों का एडिटिंग अनुभव है। उन्होंने कई मीडिया हॉउस के संपादकीय टीमों के साथ काम किया है। सौरभ ने समाचार… More »

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