Paryushan Parv 2022: जानें कैसे मनाया जाता है ये त्योहार

आज 24 अगस्त से जैन धर्म का प्रमुख पर्युषण पर्व (Paryushan Parv 2022) शुरू हो रहा है। ये पर्व लगातार दस दिनों तक चलता है। ये पर्व भाद्रपद मास की पंचम तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल जैन समाज का ये महापर्व 24 अगस्त से शुरू हो रहा है, जो कि 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा।

Paryushan Parv 2022: पर्युषण को जैन धर्म के लोग काफी महत्वपूर्ण त्योहार मानते हैं। जैन धर्म में पर्युषण को पर्वों का राजा कहा जाता है। ये पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है। साथ ही मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस महापर्व के जरिए जैन धर्म के अनुयायी उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम ब्रह्मचर्य के जरिए आत्मसाधना करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं जैन धर्म के इस प्रमुख पर्व के बारे में खास बातें…

पर्युषण पर्व की अवधि (Paryushan Parv Period)

जैन धर्म में पर्युषण को दशलक्षण के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, जैन धर्म में दो क्षेत्र हैं। एक दिगंबर और दूसरा श्वेतांबर। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं, जिसे अष्टान्हिका कहा जाता है। वहीं दिगंबर समाज जैन दस दिन तक पर्युषण पर्व को मनाते हैं, जिसे दसलक्षण कहते हैं। इस दौरान लोग ईश्वर के नाम पर उपवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।

कैसे रखते हैं पर्युषण का उपवास? (fast Paryushan)

जैन धर्म में उपवास यानी व्रत पर्युषण पर्व का एक महत्वपूर्ण अंग है। हिंदू धर्म के नवरात्रि की तरह ही ये त्योहार मनाया जाता है। शक्ति और भक्ति के अनुसार केवल एक दिन या उससे अधिक की अवधि तक व्रत रखा जा सकता है। वहीं सूर्यास्त के बाद वो भोजन नहीं करते हैं।

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प्रभातफेरी निकालते जैन धर्म के लोग (Prabhat Pheri)

पर्युषण पर्व की मुख्य बातें जैन धर्म के पांच सिद्धांतों पर आधारित हैं। जैसे- अहिंसा यानी किसी को कष्ट ना पहुंचाना, सत्य, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यानी जरूरत से ज्यादा धन एकत्रित ना करना।

क्यों और कैसे मनाया जाता है पर्युषण पर्व (Why and how is the Paryushan festival celebrated?)

मान्यताओं के अनुसार, पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्मावलंबी धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। पर्व के दौरान कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। पर्युषण पर्व के दौरान दान करना सबसे ज्यादा पुण्य का काम माना जाता है।

पर्युषण पर्व पर 10 दिन का व्रत (10 days fast on Paryushan festival)

आइए जानते हैं इस पर्व के दौरान जैन धर्म के लोगों को अलग-अलग दिन किन खास बातों का ध्यान रखना होता है.

  • पहले दिन- पहले दिन कोशिश की जाती है कि इंसान अपन अंदर क्रोध का भाव न पैदा होने दे. अगर ऐसा भाव मन में आए भी तो उसे विनम्रता से शांत कर दे.
  • दूसरे दिन- अपने व्यवहार में मिठास और शुद्धता लाने का प्रयास किया जाता है. आप मन में किसी के लिए घृणा नहीं रख सकते.
  • तीसरे दिन- इस दिन आप जो सोच लेतें है उस पर अमल करके उसे सफल अंजाम देना आवश्यक है. यानी आपने जो कहा है उसे पूर्ण करना जरूरी है.
  • चौथे दिन- इस दिन कोशिश की जाती है कि आप कम बोलें, लेकिन अच्छा बोलें, सच बोलें.
  • पांचवें दिन- मन में किसी भी तरह का लालच नहीं रख सकते. किसी तरह का स्वार्थ आपके मन में नहीं होना चाहिए.
  • छठे दिन- छठे दिन मन पर काबू रखते हुए संयम से काम लेना जरूरी होता है.
  • सातवें दिन- मलीन वृत्तियों को दूर करने के लिए जो बल चाहिए, उसके लिए तपस्या करना.
  • आठवें दिन- पात्र को ज्ञान, अभय, आहार, औषधि आदि सद्वस्तु देना.
  • नौवें दिन- किसी भी वस्तु आदि के लिए मन में स्वार्थ न रखना.
  • दसवें दिन- सद्गुणों का अभ्यास करना और अपने को पवित्र रखना.

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