Onam Festival : क्या है ओणम का महत्व और इतिहास, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

आज हम (Onam Festival) ओणम फेस्टिवल इन हिंदी में जानेंगे की ओणम के दिन केरल वासी क्या करते हैं। ओणम का त्योहार कहां मानते है।

केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं ओणम (Onam Festival)। ओणम एक मलयाली त्योहार है, जिसे किसानों का त्योहार भी कहते हैं। ओणम का त्योहार केरल में उत्तरी भारत के दीवाली जितना ही महत्व दिया जाता है। जहां Onam बड़ी धूमधाम ओर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम पर केरल में 4 दिनों तक अवकाश रहता है इसे नेशनल हॉलिडे के रूप में घोषित किया गया है। समस्त केरल में ओणम का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है Onam (When is Onam celebrated)

मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह में मनाया जाता है। यह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है, जो ज्यादातर अगस्त-सितंबर महीने के समय आता है। दूसरे सोलर कैलेंडर के अनुसार इस महीने को सिम्हा का महीना भी कहा जाता है, जबकि तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी माह कहा जाता है। जब थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है, उस दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता है। थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहते है।

ओणम पर्व तिथि व मुहूर्त 2022 (Onam Festival Date And Time 2022)

  • ओणम पर्व तिथि – गुरुवार, 8 सितंबर 2022  | onam festival date
  • तिरुओणम नक्षत्र प्रारंभ – 16:00 बजे (7 सितंबर 2022) से | Thiruonam Nakshatra begins
  • तिरुओणम नक्षत्र समाप्त- 13:45 बजे (8 सितंबर 2022) तक

ओणम पर्व तिथि व मुहूर्त 2023 (Onam Festival Date And Time 2023)

  • ओणम पर्व तिथि – मंगलवार, 29 अगस्त 2023
  • तिरुओणम नक्षत्र प्रारंभ – 02:42 बजे (29 अगस्त 2023 ) से
  • तिरुओणम नक्षत्र समाप्त- 23:49 बजे (29 अगस्त 2023 ) तक

ओणम पर्व तिथि व मुहूर्त 2024 (Onam Festival Date And Time 2024)

  • ओणम पर्व तिथि – रविवार, 15 सितंबर 2024
  • तिरुओणम नक्षत्र प्रारंभ – 02:42 बजे (14 सितंबर 2024) से
  • तिरुओणम नक्षत्र समाप्त- 23:49 बजे (15 सितंबर 2024 ) तक

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ओणम का महत्व और क्यों मनाया जाता है  (Significance of Onam and why it is celebrated)

यह प्राचीन त्योहार है, जो अभी भी आधुनिक समय में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्योहार और वर्षा के फूल का त्योहार मनाया जाता है। ओणम की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। लोगों का मानना है कि onam festival के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है।

ओणम त्यौहार के 10 दिन (10 days of Onam Festival)

दिनमहत्व
अथंपहला दिन होता है, जब राजा महाबली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते है।
चिथिराफूलों का कालीन जिसे पूक्क्लम कहते है, बनाना शुरू करते है।
चोधी पूक्क्लम में 4-5 तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते है।
विशाकम इस दिन से तरह तरह की प्रतियोगितायें शुरू हो जाती है।
अनिज्हमनाव की रेस की तैयारी होती है।
थ्रिकेताछुट्टियाँ शुरू हो जाती है।
मूलममंदिरों में स्पेशल पूजा शुरू हो जाती है।
पूरादममहाबली और वामन की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है।
उठादोमइस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते है।
थिरुवोनममुख्य त्यौहार

ओणम के 10 दिनों का विस्तार

अथम: onam festivalका सबसे पहला दिन होता है अथम। पहला दिन होने के कारण इसको बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोग सुबह जल्दी उठते हैं और फिर नहा धो कर पूजा पाठ करते हैं। नाश्ते में क्या खाना है ये पहले से ही तय होता है। इसी दिन से फूलों की रंगोली बनाना शुरू कर दी जाती है जो कि राजा महाबलि के स्वागत के लिए बनाई जाती है।

चिथिरा: दूसरे दिन चिथिरा होती है। इस दिन सब लोग पूजा पाठ से ही दिन की शुरुआत करते हैं। घर के लड़के रंगोली और फूलों का इंतजाम करते है जबकि लड़कियों रंगोली बनाने का काम करती है।

चोढ़ी: तीसरे दिन खरीददारी की जाती है। खासकर महिलाएं इस दिन जमकर खरीददारी करती हैं। नए कपड़े लिए जाते हैं और एक दूसरे के लिए गिफ्ट खरीदे जाते हैं।

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विसकम: इस दिन घर को सजाया जाता है और घर की महिलाएं आचार डालती हैं और पापड़ बनाती हैं। लड़कियां रंगोली सजाने में व्यस्त रहती हैं।

अनिज़्हम: इस दिन केरल की सबसे फेमस बोट रेस होती है। इस रेस को वल्लमकली कहा जाता है। सांप की तरह सजी नौकाओं के बीच दौड़ होती है और जीतने वाले को इनाम दिया जाता है।

थ्रिकेटा: इस दिन सभी लोग आपस में मिलते हैं। गिफ्ट एक दूसरे को दिये जाते हैं और कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जाते हैं।

मूलम: मंदिरों में भोज का आयोजन किया जाता है साथ ही रंगोली को नए तरीके से सजाया जाता है।

पुरदम: भगवान विष्णु के अवतार वामन और राजा महाबलि की मिट्टी की मूर्तियां इस दिन बनाई जाती है।

उत्तरदम: इसे वास्तम में पहला ओणम कहा जाता है। इस दिन महाराज महाबलि के लिये फूलों का गलीचा सजाया जाता है।

थिरु ओणम: ओणम के अंतिम दिन को दूसरा ओणम भी कहा जाता है। इस दिन पूरे केरल में ओणम की धूम रहती है। लोग सुबह जल्दी उठ कर स्नान करते हैं। नए कपड़े डालते हैं। भगवान की पूजा करते हैं। पूरा दिन खाने पीने और नाचने गाने का कार्यक्रम चलता है।

पौराणिक कथा

महाबली, प्रहलाद के पोते थे। प्रहलाद जो असुर हिरनकश्यप के बेटे थे, लेकिन फिर भी वे विष्णु के भक्त थे। अपने दादा की तरह महाबली भी बचपन से ही विष्णु भक्त थे। समय के साथ महाबली बड़े होते गए और उनका साम्राज्य विशाल होते चला गया। वे एक बहुत अच्छे, पराक्रमी, न्यायप्रिय, दानी, प्रजा का भला सोचने वाले राजा थे। महाबली असुर होने के बाद भी धरती एवं स्वर्ग पर राज्य करते थे। धरती पर उनकी प्रजा उनसे अत्याधिक प्रसन्न रहती थी, वे अपने राजा को भगवान के बराबर दर्जा दिया करते थे। इसके साथ ही महाबली में घमंड भी कहीं न कहीं आने लगा था। ब्रह्मांड में बढ़ती असुरी शक्ति को देख बाकि देवी देवता घबरा गए, उन्होंने इसके लिए विष्णु जी की मदद मांगी। विष्णु जी इसके लिए मान जाते है।

विष्णु जी महाबली को सबक सिखाने के लिए, सभी देवी देवताओं की मदद के लिए माता अदिति के बेटे के रूप में ‘वामन’ बन कर जन्म लेते है। ये विष्णु जी का 5वां अवतार है। एक बार महाबली इंद्र से अपने सबसे ताकतवर शस्त्र को बचाने के लिए, नर्मदा नदी के किनारे अश्व्मेव यज्ञ करते है। इस यज्ञ की सफलता के बाद तीनों लोकों में असुर शक्ति और अधिक ताकतवर हो जाती। महाबली बोलते है, इस यज्ञ के दौरान उनसे जो कोई जो कुछ मांगेगा उसे दे दिया जाएगा। इस बात को सुन वामन इस यज्ञ शाला में आते है। ब्राह्मण के बेटे होने के कारण महाबली उन्हें पूरे सम्मान के साथ अंदर लाता है। महाबली वामन से बोलता है कि वो उनकी किस प्रकार सेवा कर सकता है, उन्हें उपहार में क्या दे सकता है। वामन मुस्कराते हुए कहते है, मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे तो 3 डग जमीन दे दो।

ये बात सुन महाबली के गुरु समझ जाते है कि ये कोई साधारण बालक नहीं है, वे महाबली को उनकी इच्छा पूरी न करने को कहते है, लेकिन महाबली एक अच्छे राजा थे, वे अपने वचनों के पक्के थे, उन्होंने वामन को हां कर दिया। महाबली वामन को अपनी इच्छा अनुसार भूमि लेने के लिए बोलते है। ये बात सुन वामन अपने विशाल रूप में आ जाते है। उनके पहले कदम में सारी धरती समां जाती है, उनके दुसरे कदम में स्वर्गलोक आ जाता है। अब उनके तीसरे कदम के लिए राजा के पास कुछ नहीं होता है, तो अपने वचन को पूरा करने के लिए, राजा अपना सर वामन के पैर के नीचे रख देते है। ऐसा करते ही, राजा धरती में पाताललोक में समां जाते है। पाताललोक में जाने से पहले महाबली से एक इच्छा पूछी जाती है। महाबली विष्णु जी से मांगते है कि हर साल धरती में ओणम का त्यौहार उनकी याद में मनाया जाए, और उन्हें इस दिन धरती में आने की अनुमति दी जाये, ताकि वे यहां आकर अपनी प्रजा से मिलकर, उनके सुख दु:ख को जान सकें।

ओणम मनाने का तरीका (how to celebrate onam)

ओणम की मुख्य धूम कोच्ची के थ्रिक्कारा मंदिर में रहती है। ओणम के पर्व पर इस मंदिर में विशेष आयोजन होता है, जिसे देखने देश-विदेश से वहां लोग पहुंचते है। इस मंदिर में पूरे 10 दिन एक भव्य आयोजन होता है, नाच गाना, पूजा आरती, मेला, शोपिंग यहां की विशेषताएं है। इस जगह पर तरह-तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है, जिसमें लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है।

जैसे महाबली दानवीर थे, इसलिए इस त्यौहार में दान का विशेष महत्व होता है। लोग तरह तरह की वस्तुएं गरीबों एवं दानवीरों को दान करते है। ओणम के आखिरी दिन बनाए जाने वाले पकवानों को ओणम सद्या कहते है। इसमें 26 तरह के पकवान बनाए जाते है, जिसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है।

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ओणम के दौरान केरल के लोक नृत्य को भी वहां देखा जा सकता है, इसका आयोजन भी वहां मुख्य होता है। थिरुवातिराकाली, कुम्मात्तिकाली, कत्थककली, पुलिकाली आदि का विशेष आयोजन होता है।

वैसे तो ओणम का त्यौहार दसवें दिन खत्म हो जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे आगे दो दिन और मनाते है। जिसे तीसरा एवं चौथा ओणम कहते है। इस दौरान वामन एवं महाबली की प्रतिमा को पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है। पूक्कालम को भी इस दिन हटाकर, साफ कर देते है।

10-12 दिन का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ खत्म होता है, जिसे केरल का हर इन्सान बहुत मन से मनाता है।  इस रंगबिरंगे अनौखे त्यौहार में पूरा केरल चमक उठता है।

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