Ujjain Nagchandreshwar Mandir-2022 : देश का ऐसा मंदिर जहां साल में एक बार होता है दर्शन

Ujjain Nagchandreshwar Mandir-2022 विश्व प्रसिद्ध उज्जैन में नागपंचमी के पावन पर्व पर भगवान नागचंद्रेश्वर के पट पूरे वर्ष में नागपंचमी के पावन पर्व पर भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर का पट एक दिन ही खुलता है। इस दिन हजारों श्रध्दालु दर्शन करते हैं।

विश्व प्रसिद्ध जो मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मन्दिर के शीर्ष शिखर पर नागचंद्रेश्वर मन्दिर (Ujjain Nagchandreshwar Mandir-2022) के पट वर्ष में एक बार चौबीस घंटे के लिये सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। 01 अगस्त, 2022 सोमवार की मध्यरात्रि विशेष पूजा अर्चना के साथ आम भक्तों के लिये मन्दिर के पट खुल जायेंगे और भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के लगातार चौबीस घंटे दर्शन होंगे। मन्दिर के पट 02 अगस्त, 2022 मंगलवार की रात्रि 12 बजे बन्द होंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि नागपंचमी (Nagpanchami) पर्व पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर (Nagchandreshwar) की त्रिकाल पूजा होगी, जिसमें 01 अगस्त रात्रि 12 बजे पट खुलने के पश्चात श्री पंचायती महा निर्वाणी अखाड़े के महंत श्री विनित गिरी जी महाराज द्वारा भगवान श्री नागचंद्रेश्वर का पूजन किया जावेगा। शासकीय पूजन 02 अगस्त दोपहर 12 बजे होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 02 अगस्त को श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा पूजन-आरती की जायेगी ।

नागपंचमी पर्व पर लाखों श्रद्धालु लेंगे दर्शन लाभ (Ujjain Nagchandreshwar Mandir)

नागपंचमी पर्व पर श्री महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में महाकाल मन्दिर के शीर्ष शिखर पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर भगवान के पूजन-अर्चन के लिये लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर स्थित हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित है। श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में श्री शिवजी, माँ पार्वती श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं साथ में दोनो के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

त्रिकाल पूजा की है परंपरा (Trikal worship is a tradition)

मान्यताओं के अनुसार, भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है. त्रिकाल पूजा का मतलब तीन अलग-अलग समय पर पूजा. पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है, दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है। इसके बाद मंगलवार रात 12 बजे मंदिर को पुन: एक साल के लिए बंद कर दिया जाएगा।

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नागपंचमी पर शासन प्रशासन की व्यवस्था रहेगी (System of governance on Nagpanchami)

वहीं उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं से वाहन पार्किंग के संबंध में विशेष रूप से अपील की है। उन्होंने बताया कि इंदौर, देवास, मक्सी, बड़नगर, आगर रोड से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग मार्गों पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है। चौपहिया वाहनों को मंदिर से दूर ही खड़ा करवाया जाएगा. इसके बाद श्रद्धालु पैदल ही मंदिर की ओर जा सकेंगे। सावन के तीसरे सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी भी निकलेगी। इसलिए भीड़ प्रबंधन के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे अपने साथ अधिक और भारी सामान लेकर न आएं। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से कीमती सामान पहनकर या साथ लेकर न आने की अपील की है।

निया में कहीं नहीं है इस मंदिर जैसी प्रतिमा (Ujjain Nagchandreshwar Mandir-2022)

आमतौर पर विष्णु भगवान को नाग शैय्या पर विराजमान दिखाया जाता है, लेकिन यहां नाग की प्रतिमा पर भोलेनाथ गणेश जी और माता पार्वती के साथ दसमुखी सर्प शैय्या पर विराजमान हैं और शिव जी के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं. कहा जाता है नागचंद्रेश्वर मंदिर जैसी प्रतिमा पूरी दुनिया में किसी अन्य मंदिर में नहीं है।

क्यों खास है नागचंद्रेश्वर मंदिर (Why is Nagchandreshwar Temple special?)

महाकाल मंदिर के गर्भगृह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। इनके ऊपर ओंकारेश्वर महादेव स्थित है। सबसे ऊपरी तल पर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा है। ऊपरी तल पर अंदर जाते ही दाईं ओर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं। शेषनाग के आसन पर विराजित शिव-पार्वती की सुंदर प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालुओं स्वयं को धन्य मानते हैं। 11 वीं शताब्दी के परमार कालीन इस मंदिर के शिखर के मध्य बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर में शेषनाग पर विराजित भगवान शिव और पार्वती की यह दुर्लभ प्रतिमा है। ऐसी मान्यता भी है कि नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से राहु-केतु से जुड़े ग्रह दोष जैसे कालसर्प के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

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