राजस्थान का बिजली संकट कैसे होगा खत्म? अब कोयला खनन में आ रही यह मुश्किल, छत्तीसगढ़ सरकार को लिखा पत्र
जयपुर
राजस्थान में बिजली की समस्या इतनी आसानी से दूर होती नजर नहीं आ रही है। काफी मशक्कत के बाद छत्तीसगढ़ में मिली माइनिंग की परमिशन बाद भी यहां खनन शुरू नहीं हो सका है। अब इसको लेकर राजस्थान सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से दखल देने की गुजारिश की है। राजस्थान की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने 19 मई को इस संबंध में छत्तीसगढ़ में अपने समकक्ष अधिकारी अमिताभ जैन को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि कुछ एनजीओ स्थानीय लोगों के साथ उन ब्लॉक्स में खनन में बाधा पहुंचा रहे हैं, जो राजस्थान को एलॉट किए गए हैं।
किया है भारी-भरकम निवेश
बता दें कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने 4400 मेगावॉट के थर्मल पॉवर स्टेशनों के लिए भारी-भरकम निवेश किया है। इन थर्मल पॉवर स्टेशनों को छत्तीगसढ़ के पारसा ईस्ट कांटा बेसन, पारसा और पारसा केंटे एक्सटेंशन से कोयला मिलने वाला है। उम्मीद है कि इन तीन ब्लॉकों से राजस्थान को सालाना 30 मिलियन टन कोयला मिलेगा। लेकिन पहले चरण में केवल पारसा ईस्ट कांटा बेसन ब्लॉक से ही उत्पादन शुरू हो सका है। जबकि पारसा और केंटे एक्सटेंशन में अभी काम शुरू होना है। इन दोनों ब्लॉक्स को भी वृक्षों की कटाई के लिए जरूरी क्लियरेंस और परमिशन मिल चुकी है। हालांकि ऊषा शर्मा के खत के मुताबिक कुछ एनजीओ और स्थानीय लोग इस काम में बाधा पहुंचा रहे हैं।
बिजली संकट दूर करने में परेशानी
ऊषा शर्मा ने अपने पत्र में लिखा कि इस देरी के चलते कोयला उत्पादन प्रभावित हो रहा है और राज्य में बिजली संकट दूर करने में मुश्किल आ रही है। साथ ही उन्होंने यह भी लिखा कि इस देरी के चलते छत्तीसगढ़ को राजस्व का नुकसान भी होगा। छत्तीसगढ़ से अगर दूसरे फेज की कोयले की सप्लाई जल्द नहीं शुरू हुई तो राजस्थान बिजली संकट गहरा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, पारसा और केंटे एक्सटेंशन ब्लॉक से मिलने वाला कोयला राजस्थान में ऊर्जा सुरक्षा के भविष्य के लिए भी अहम है। पिछले साल राजस्थान ने कोल इंडिया लिमिटेड से 17 मिलियन टन और पीईकेबी ब्लॉक से 15 मिलियन टन कोयला खरीदा था। कोल इंडिया से सप्लाई कई बार बाधित हुई है। ऐसे में अन्य खदानों से कोयले की सप्लाई राजस्थान के लिए लाइफलाइन सरीखी होगी।