MP Breaking News : मप्र में आने वाले वाहनों पर नजर रखेंगे 650 कैमरे, 85 स्थानों का हुआ चयन
MP Breaking : गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट और छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश में एंट्री करने वाले वाहनों पर नजर रखने की पुलिस की नई पहल शुरू होने वाली है। प्रदेश की पुलिस राज्य की सीमाओं पर CCTV कैमरे लगाने की तैयारी में है।
MP Breaking : उज्जवल प्रदेश, भोपाल. गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट और छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश में एंट्री करने वाले वाहनों पर नजर रखने की पुलिस की नई पहल शुरू होने वाली है। इसके तहत प्रदेश की पुलिस राज्य की सीमाओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी में है। इसके जरिए वह राज्य के बाहर से आने और मध्य प्रदेश के बाहर जाने वाले वाहनों पर ना सिर्फ नजर रखेगी बल्कि गाड़ी नंबर के जरिए उनका पूरा रिकॉर्ड भी रखेगी।
सूत्रों की मानी जाए तो प्रदेश पुलिस ने इसके लिए 85 स्थानों का चयन किया है। जिन पर 640 के लगभग सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत इस योजना पर काम होगा। इसके जरिए पुलिस सबसे पहले संदिग्ध लोगों और उनके वाहनों पर नजर रखने में इसका उपयोग करेगी। साथ ही राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा।
बाहरी जहां ज्यादा उन जिलों में भी गाड़ियों पर नजर
इस योजना में निगरानी का डिजिटल मोड राज्य के उन जिलों में भी लागू किया जाएगा जहां बड़ी संख्या में प्रदेश से सटे राज्यें के लोग निवास कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि दूसरे चरण में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, जबलपुर और सागर जिलों में इस योजना के तहत काम होगा। जिलें में भी अलग से 70 स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले इन जिलों में कैमरे लगाए जाएंगे। बताया जाता है कि एआई युक्त सीसीटीवी कैमरों की मदद से असामाजिक तत्वों का भी पता लगाया जाएगा, जिसमें आठ मेगापिक्सल और उससे अधिक का रिजॉल्यूशन होगा।
दो चरणों में योजना
सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना दो चरणों में आगे बढ़ेगी। मध्य प्रदेश की सीमाएं पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के साथ सटी हुई हंै। इन राज्यों से मध्य प्रदेश में एंट्री करने वाले मुख्य रास्तों के अलावा अन्य जो रास्ते ज्यादा चलते हैं उन पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। कैमरे स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) तकनीक से लैस होंगे, जो पुलिस को संदिग्ध और संदिग्ध वाहनों की पहचान करने में मदद करेंगे। इसके अलावा जिलों में दूसरे चरण में इस पर कम होगा।