BJP MP किरोड़ी लाल से सतीश पूनिया की टीम ने बनाई दूरी, गहलोत सरकार को घेरने में नहीं मिला साथ

जयपुर
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले प्रदेश भाजपा में गुटबाजी लगातार बढ़ती जा रही है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बाद भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा की प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से दूरी बढ़ने के खबरें सियासी गलियारों में चर्चा बनी हुई है। करौली हिंसा मामले में किरोड़ी लाल गहलोत सरकार को लगातार घेर रहे हैं, लेकिन किरोड़ी को प्रदेश भाजपा का साथ नहीं मिल रहा है। चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कहने पर भाजपा कार्यकर्ता लगातार किरोड़ी लाल के धरना-प्रदर्शन से दूरी बनाए हुए है।  इसी बात को लेकर किरोड़ी लाल प्रदेश भाजपा नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं।

किरोड़ी ने खुलकर नाराजगी जाहिर नहीं की
हालांकि, किरोड़ी लाल ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की है। राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सतीश पूनिया ने किरोड़ी लाल को किनारे करना शुरू कर दिया। किरोड़ी को प्रदेश भाजपा कोर ग्रुप का भी हिस्सा नहीं बनाया। जानकारों का कहना के 2023 की लड़ाई भाजपा के लिए आसान नहीं है।

किरोड़ी अपने दम गहलोत सरकार पर हमलावर
गहलोत सरकार के आने के बाद विपक्ष के तौर पर भाजपा का कोई ऐसा नेता जो जनता के बीच जाकर जनता के मुद्दों पर मौजूदा सरकार को घेरता हो वह सिर्फ किरोड़ीलाल ही है। किरोड़ी लाल ने हमेशा जनता के मुद्दे उठाएं। पीड़ित परिवार को साथ न्याय हो या फिर बेरोजगार के मुद्दे। किरोड़ी लाल हमेशा उठाते रहे हैं। किरोड़ी की नाराजगी भाजपा को विधानसभा चुनाव 2023 में भारी पड़ सकती है। राजस्थान भाजपा में सिर्फ वसुंधरा राजे ही नाराज नहीं है बल्कि राजस्थान में ऐसे कई नेता है जो अपने इलाके में जनाधार रखते हैं। लेकिन राजनीतिक वजूद की लड़ाई में भाजपा का प्रदेश नेतृत्व किनारे करके चल रहा है। किरोड़ी लाल पूर्वी राजस्थान में अपने समाज पर मजबूत जनाधार रखते हैं। पूर्वी राजस्थान के साथ-साथ दक्षिण राजस्थान में में भी मजबूत पकड़ रखते हैं। गहलोत सरकार के आने के बाद विपक्ष के तौर पर भाजपा का कोई ऐसा नेता जो जनता के बीच जाकर जनता के मुद्दों पर मौजूदा सरकार को घेरता हो वह सिर्फ किरोड़ीलाल ही है। किरोड़ी लाल ने हमेशा जनता के मुद्दे उठाएं। पीड़ित परिवार को साथ न्याय हो या फिर बेरोजगार के मुद्दे। किरोड़ी लाल ने हमेशा उठाएं।

किरोड़ी ने दोनों गुटों से बनाई  दूरी
राजस्थान भाजपा दो गुटों में बंटी है। वसुंधरा गुट और पूनिया-शेखावत गुट। किरोड़ी लाल मीणा ने दोनों गुटों से अलग ही रास्ता पकड़ रखा है। सियासी बयानबाजी दूर किरोड़ी लाल लगातार जनता से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रह रहे हैं। किरोड़ीलाल अधिकतर बेरोजगारों से जुड़े मुद्दे उठाकर गहलोत सरकार को घेर रहे हैं। लगातार मोदी-शाह के संपर्क में रहते हैं और उन्ही के दम पर सियासत चला रहे हैं।  जानकारों का कहना है कि सतीश पूनिया को वसुंधरा गुट से मुकाबला करना है तो किरोड़ीलाल को साथ रखना होगा। किरोड़ी लाल को सतीश पूनिया नजरअंदाज करेंगे तो भाजपा को विधानसभा चुनाव 2023 में नुकसान उठान पड़ सकता है। पार्टी चुनाव हारती है तो सवाल पूनिया पर उठेंगे। वसुंधरा राजे भी यही चाहती है।

किरोड़ी के दम पर ही चुनाव जीते पूनिया
2013 के चुनावों में जयपुर की आमेर सीट से किरोड़ी की पार्टी एनपीपी से नवीन पिलानिया चुनाव जीते। नवीन पिलानिया ने भाजपा के सतीश पूनिया को चुनाव हराया।  सतीश पूनिया फिलहाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है। 2018 के चुनावों में किरोड़ी लाल ने नवीन पिलानिया की जगह सतीश पूनिया को टिकट दिलाने का समर्थन किया। चुनाव  हुए और आमेर से सतीश पूनिया जीत गए। चुनाव जीतने के बाद सतीश पूनिया ने किरोड़ी लाल से दूरी बनाना शुरू कर दिया। अपने समाज में मजबूत पकड़ रखने वाले किरोड़ी लाल को प्रदेश भाजपा कोर ग्रुप का भी हिस्सा नहीं बनाया। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सतीश पूनिया के लिए विधानसभा चुनाव 2023 में लड़ाई आसान नहीं है।  20223 के चुनाव से पहले ही सतीश पूनिया ने जयपुर की सांगानेर सीट पर शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर ली है। सांगानेर से फिलहाल वसुंधरा समर्थक अशोक लाहोटी  विधायक है।

वसुंधरा से अनबन पर छोड़नी पड़ी थी भाजपा
किरोड़ी लाल मीणा आरएसएस की सोच के माने जाते हैं। कभी कांग्रेस के साथ फिट नहीं बैठे। वसुंधरा सरकार में खाद्यमंत्री थे। वसुंधरा से अनबन के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने समाज में मसीहा के तौर पर उभरे। वसुंधरा से नाराजगी की वजह ले उन्होंने 2008 में भाजपा छोड़ दी। खुद करौली की टोडाभीम से निर्दलीय और अपनी पत्नी गोलमा देवी को दौसा जिले की महुआ सीट से चुनाव लड़वाया। दोनों ही निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीत गए। सपोटरा से हारने के बाद किरोड़ी लाल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी गोलमा देवी के लिए दौसा से टिकट मांगा।  लेकिन वसुंधरा राजे ने वहा भी वीटो कर दिया। टिकट दिलाया किरोड़ी लाल की धुर विरोधी जसकौरा मीणा को। भाजपा प्रत्याशी जसकौर मीणा ने कांग्रेस की सविता मीणा को करीब 53 हजार से अधिक वोटा से चुनाव हरा दिया।

गोलमा देवी को हराने के आरोप लगे थे वसुंधरा पर
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार की तहर अपनी ही पार्टी के नेताओं को चुनाव हरवाना राजस्थान के लिए कोई नई बात नहीं है। किरोड़ी लाल की पत्नी को विधानसभा चुनाव 2013 में सपोटरा से भाजपा का टिकट दिलवाकर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर हरवाने के आरोप लगे। 2008 में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जाने वाले सीपी जोशी को नाथद्वारा में 1 वोट से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के कुछ नेताओं पर सीपी जोशी को हराने के आरोप लगे हैं। मोदी लहर के बावजूद कोलायत से दिग्गज भाजपा नेता देवीसिंह को हरवाने में भाजपा नेताओं पर आरोप लगे थे। 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज नेता रामेश्वर डूडी को हरवाने के आरोप भी कांग्रेस के नेताओं पर लगे थे। जबकि प्रदेश में माहौल कांग्रेस के पक्ष में था। भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा था।

Related Articles

Back to top button