Radhika Murder Case: टेनिस खिलाड़ी की सनसनीखेज हत्या, पिता ने बेटी को मारी गोलियां, वजह जानकर रह जाएंगे दंग
Radhika Murder Case: गुरुग्राम के सेक्टर 57 में 10 जुलाई को खुशी का माहौल मातम में बदल गया, जब टेनिस प्लेयर राधिका यादव को उनके पिता दीपक यादव ने घर में ही गोली मार दी। मां के जन्मदिन की तैयारियों के बीच राधिका पर तीन गोलियां दागी गईं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

Radhika Murder Case: उज्जवल प्रदेश, गुरुग्राम. हरियाणा के गुरुग्राम से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। टेनिस की दुनिया में नाम कमा रही 25 वर्षीय खिलाड़ी राधिका यादव की उनके ही पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। वजह सिर्फ इतनी थी कि लोग ताना देते थे—“बेटी की कमाई खा रहा है।”
जब देश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियान चल रहे हैं, तब ऐसी खबरें आना समाज की मानसिकता पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।
राधिका की हत्या की पूरी कहानी
घटना उस वक्त हुई जब राधिका अपने घर के किचन में खाना बना रही थीं। अचानक पिता ने रिवॉल्वर से तीन गोलियां दाग दीं। राधिका की मौके पर ही मौत हो गई।
राधिका गुरुग्राम में टेनिस अकादमी चला रही थीं और सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव थीं। फिटनेस, टेनिस और मोटिवेशनल वीडियोज के जरिये वो युवाओं को प्रेरित कर रही थीं। मगर पिता को यह सब नागवार गुजर रहा था। उन्हें यह तकलीफ थी कि रिश्तेदार उनकी बेटी की कमाई को लेकर उन्हें नीचा दिखाते थे। दीपक यादव ने कई बार राधिका को अकादमी बंद करने को कहा था लेकिन वह अपने सपनों के लिए अडिग रहीं।
पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
हत्या के बाद परिजनों ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि राधिका ने खुद को गोली मार ली। लेकिन जब सेक्टर 56 थाने की टीम मौके पर पहुंची और फॉरेंसिक जांच की तो पूरा मामला संदिग्ध लगा। सख्ती से पूछताछ के बाद दीपक यादव ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
बेटी की कमाई क्यों शर्म की बात?
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है—कब तक समाज में बेटी की कमाई को तिरस्कार की नजर से देखा जाएगा? कब तक बेटियों को पुरुषों के बराबर समझने में हिचकिचाएंगे?
बेटियों के कामयाबी के सपनों को मारने वाली ऐसी पोंगापंथी सोच को खत्म करना बेहद जरूरी है। राधिका की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस बीमार मानसिकता की देन है जो बेटियों को बराबरी का दर्जा देने में आज भी असहज है।