सरकार ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये प्रतिबद्ध है, जहां महिलाएं हिंसा और भेदभाव के बिना आगे बढ़ सकें

हम होंगे कामयाब पखवाड़ा

भोपाल
"हम होंगे कामयाब" पखवाडा में आयोजित कार्यशाला 'महिला सुरक्षा संवाद' के दूसरे दिन उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी विभागों और नागरिक समाज के बीच समन्वय की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये प्रतिबद्ध है, जहां महिलाएं हिंसा और भेदभाव के बिना आगे बढ़ सकें।

कार्यशाला के स्काई सोशल की संस्थापक सृष्टि प्रगट ने युवा पीढ़ी की बदलाव लाने की अपार क्षमता को उजागर किया और महिलाओं के खिलाफ हिंसा से मुक्त एक भविष्य बनाने में उनके योगदान की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने सामूहिक प्रयासों और सक्रिय युवा भागीदारी की बात की, जिससे प्रणालीगत समस्याओं का समाधान किया जा सके, और यह सुनिश्चित किया जा सके।

रेडियो बुन्देलखण्ड की आर.जे. सुवर्षा ने कैसे युवा सामाजिक परिवर्तन के प्रेरक बन सकते हैं पर चर्चा की। इसमें यूनिसेफ के अधिकारियों के साथ-साथ 'आरंभ' और 'उदय' के युवाओं ने अपनी परिवर्तनकारी कहानियाँ और लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ जमीनी स्तर पर संघर्ष की रणनीतियाँ साझा कीं। इस सत्र ने युवाओं को समुदाय विकास और लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. वंचना सिंह परिहार ने महिला हिंसा से प्रभावित व्यक्तियों के लिए एक समग्र सहायता प्रदान करने वाली वन स्टॉप सेंटर्स की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने इन केंद्रों के संचालन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि ये अधिक सुलभ और पीड़ित केंद्रित हो सकें। अधिवक्ता योगेश पंडित ने साइबर हिंसा से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने महिलाओं को ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाने के लिए कार्यात्मक दृष्टिकोण प्रदान किए और कानून व्यवस्था के तहत अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने के तरीकों पर चर्चा की।

क्लिनिकल साइकॉलाजिस्ट सुगर्गी कन्हेरे द्वारा संचालित “लिंग आधारित हिंसा का मानसिक प्रभाव” सत्र में लिंग आधारित हिंसा युवाओं पर मानसिक प्रभाव कितना गहरा हो सकता है पर चर्चा की गई। सत्र में इस तरह के मानसिक आघात को समझने, सहनशीलता का निर्माण करने और सहानुभूतिपूर्ण समर्थन प्रणालियाँ विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि युवा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और जीबीटी से प्रभावित साथियों का समर्थन करने के लिए क्या रणनीतियाँ और उपकरण अपना सकते हैं। डॉ. दीपल मेहरोत्रा ने शिक्षा संस्थानों में सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए आंतरिक शिकायत समितियों जैसी संस्थागत उपायों का खाका प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के बीच लिंग संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा किया।

लिंग आधारित हिंसा जागरूकता बढ़ाने मनोचा और चिन्मय गोड़ ने संचालित किया, इस बात पर चर्चा की गई कि सोशल मीडिया का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है जिससे लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके, संवाद शुरू किया जा सके और समुदायों को क्रियान्वयन के लिए प्रेरित किया जा सके।

 

Ramesh Kumar Shaky

रमेश कुमार शाक्य एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास 22 वर्षों से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई प्रतिष्ठित समाचार संगठनों के साथ काम किया और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। वे समाचार का प्रबंधन करने, सामग्री तैयार करने और समय पर सटीक समाचार प्रसारण सुनिश्चित करने में माहिर हैं। वर्तमान घटनाओं की गहरी समझ और संपादकीय कौशल के साथ, उन्होंने समाचार उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। उन्होंने राजनीति, व्यापार, संस्कृति और अंतर्राष्ट्रीय मामलों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में समाचार कवरेज एवं संपादन किया है।

Related Articles

Back to top button