काम की खबर… गर्मी से बचने कार में लगाएं ये टिंटेड ग्लास, पुलिस भी नहीं रोकेगी, चालान भी नहीं, वॉलेट और स्किन की बचत अलग
UV-Cut Glass: भारत में कारों पर सनफिल्म लगाना गैरकानूनी है, लेकिन अब UV-Cut फैक्ट्री टिंटेड ग्लास के जरिए गर्मी और चालान दोनों से बचा जा सकता है। फॉक्सवैगन पोलो के मालिक ने इसका सस्ता और वैध तरीका खोजा, जो अब सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। अगर आप गर्मियों में कार के अंदर तपिश से परेशान हैं और चालान से भी बचना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। अब बिना कानून तोड़े UV-Cut टिंटेड ग्लास का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कानूनी रूप से वैध है और गर्मी को काफी हद तक रोकता है।

UV-Cut Glass: उज्जवल प्रदेश डेस्क. भारत में कारों में सनफिल्म या शेड्स लगवाना गैरकानूनी है, लेकिन बढ़ती गर्मी के चलते लोग विकल्प ढूंढते रहते हैं। अब एक फॉक्सवैगन पोलो मालिक ने एक कानूनी तरीका ढूंढ निकाला है, जिससे टिंटेड ग्लास भी मिलते हैं और चालान से भी राहत मिलती है।
सनफिल्म लगवाना कानूनन अपराध है
भारत की झुलसती गर्मी में कार चलाना किसी सजा से कम नहीं लगता। कार का केबिन इतना गर्म हो जाता है कि एसी ऑन करने के बावजूद कुछ मिनटों तक राहत नहीं मिलती। ऐसे में लोग शीशों पर सनफिल्म लगवाकर धूप को रोकने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनफिल्म लगवाना कानूनन अपराध है और पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भी देना पड़ सकता है?
क्यों बैन हैं कार में सनफिल्म?
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में कारों में सनफिल्म लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट का तर्क था कि गहरे शीशों का गलत इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में किया जा रहा है। अपहरण, छेड़छाड़ और महिला अपराधों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया।
आदेश के मुताबिक सामने और पीछे के विंडस्क्रीन के साथ-साथ साइड विंडो पर भी किसी तरह की अतिरिक्त फिल्म लगाना गैरकानूनी है, भले ही वह ट्रांसपेरेंट ही क्यों न हो।
तो फिर गर्मी से कैसे बचें?
हाल ही में एक फॉक्सवैगन पोलो GT TSI कार मालिक प्रेरक कटारिया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे वह बिना कानून तोड़े टिंटेड ग्लास का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने फैक्ट्री-फिटेड UV-Cut ग्लास का ऑप्शन चुना, जो पूरी तरह से कानूनी है।
क्या होता है UV-Cut ग्लास?
UV-Cut ग्लास एक विशेष प्रकार का शीशा होता है जिसमें पहले से ही अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव की क्षमता होती है। इसमें कोई सनफिल्म या बाहरी कोटिंग नहीं होती, बल्कि यह शीशे के निर्माण के दौरान ही उसमें UV फिल्टर जोड़ दिया जाता है।
इसका फायदा यह होता है कि:
- सूरज की किरणें और गर्मी कार के अंदर नहीं आती
- केबिन ठंडा रहता है
- आंखों पर कम असर पड़ता है
- कानूनी रूप से मान्य होता है
कितना महंगा है UV-Cut ग्लास?
अगर आप यह ग्लास फॉक्सवैगन के अधिकृत सर्विस सेंटर से लगवाते हैं, तो इसमें लगभग 14,000 रुपए या उससे अधिक का खर्च आ सकता है। हालांकि, पोलो कार मालिक ने इसका एक सस्ता जुगाड़ भी दिखाया।
उन्होंने स्क्रैप यार्ड से सेकेंड हैंड UV-Cut ग्लास मात्र 5,000 रुपए में खरीदे और उन्हें खुद इंस्टॉल कर लिया। अगर आप खुद नहीं लगाना चाहते, तो किसी भरोसेमंद मिस्त्री से यह काम करवाया जा सकता है।
कौन-कौन बनाता है UV-Cut ग्लास?
भारत में कई कंपनियां UV-Cut और सेफ्टी ग्लास बनाती हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं:
- Asahi India Glass Ltd. (AIS)
- Saint-Gobain
- Xinyi Glass
इसके अलावा विंडस्क्रीन या अन्य हिस्सों के लिए आप 3M, Garware जैसे ब्रांड्स के CMVR-अनुमोदित प्रोडक्ट्स का उपयोग कर सकते हैं।
क्या कहता है कानून?
भारत सरकार के CMVR (Central Motor Vehicle Rules) के अनुसार, कार के साइड ग्लास में कम से कम 50% प्रकाश अंदर आना चाहिए और सामने तथा पीछे के विंडस्क्रीन में कम से कम 70% प्रकाश पारदर्शिता होनी चाहिए।
यदि फैक्ट्री से लगे हुए ग्लास इन मानकों को पूरा करते हैं, तो वे पूरी तरह वैध माने जाते हैं।
केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला
2024 में केरल हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई कार विंडो ग्लास ‘सेफ्टी ग्लेज़िंग’ के मानकों पर खरी उतरती है और VLT (Visual Light Transmission) नियमों का पालन करती है, तो उसका उपयोग कानूनी रूप से किया जा सकता है।
इस फैसले के बाद UV-Cut ग्लास या फैक्ट्री-फिटेड टिंटेड ग्लास के प्रति विश्वास और जागरूकता बढ़ी है।
सनफिल्म बनाम UV-Cut ग्लास
तुलना बिंदु | सनफिल्म | UV-Cut ग्लास |
कानूनी स्थिति | अवैध | वैध |
तापमान नियंत्रण | अच्छा | अच्छा |
दृश्यता | कम हो सकती है | पर्याप्त |
कीमत | सस्ती | थोड़ी महंगी |
चालान का खतरा | ज्यादा | नहीं |
क्या करें और क्या न करें…
क्या करें
- UV-Cut या फैक्ट्री टिंटेड ग्लास लगवाएं
- हमेशा CMVR नियमों के तहत VLT प्रतिशत का ध्यान रखें
- विंडस्क्रीन पर कोई भी एक्सटर्नल फिल्म न लगाएं
क्या न करें
- लोकल बाजार से गहरे रंग की फिल्म लगवाने की गलती न करें
- पुलिस के चालान के डर से शीशे छिपाने की कोशिश न करें
- बिना प्रमाण के ग्लास न लगवाएं