Vastu Tips for Home : घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बनायें पूजा घर, समस्यायें होंगी छू-मंतर

Vastu Tips for Home : अगर आपके जीवन में समस्यायें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं तो यह जरूर जांचें कि घर में जो मंदिर है उसका मुख्य द्वार किस दिशा में है। उत्तर-पूर्व दिशा न हो तो उसकी दिशा तत्काल बदल दें।

Vastu Tips for Home : उज्जवल प्रदेश डेस्क. अगर आपके जीवन में समस्यायें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं तो यह जरूर जांचें कि घर में जो मंदिर है उसका मुख्य द्वार किस दिशा में है। उत्तर-पूर्व दिशा न हो तो उसकी दिशा तत्काल बदल दें। वास्तु की मानें तो जीवन में आने वाली समस्याएं हो जाती हैं छू-मन्तर जब पूजाघर सही दिशा में बना होता है एवं यदि आप सही दिशा की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं।

ईशान कोण का है महत्व

वास्तु के अनुसार अगर आपके जीवन में एक समस्या के बाद दूसरी समस्या लगातार बनी हुई है और आपका पीछा नहीं छोड़ रही है, तो आपको अपनी ग्रह दशा के साथ-साथ वास्तु की दिशाओं का भी ध्यान रखना होगा। ज्योतिष के अनुसार शुभ प्रभाव में वृद्धि के लिए सबसे पहले घर की उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण के नाम से जाना जाता है, का विशेष ध्यान हम रखें।

पूर्व की तरफ मुँह करके पूजा करनी चाहिए

ज्योतिष के हिसाब से पूजाघर घर का प्रमुख अंग होता है। सही बुद्धि का संचालन पूजागृह से ही होता है तो वहीं अगर पूजागृह उत्तर-पूर्व कोण में बना हो और मूर्ति का मुख दक्षिण या पश्चिम की तरफ हो तो निश्चय ही उस परिवार में सम्पन्नता बढ़ेगी। पूजागृह अन्य किसी कोण में बनाना उचित नहीं है। ज्ञान की प्राप्ति के लिए पूजाघर के उत्तर में बैठकर और उत्तर की ओर मुंह करके पूजा करें।

घर में लड़ाई-झगड़ा, वंशवृद्धि में रुकावट हो सकती है

ईशान कोण कभी भी कटा हुआ नहीं होना चाहिए। इस हिस्से के कटे होने से घर में कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। इस कोण के कटने से घर में लड़ाई-झगड़ा, वंशवृद्धि में किसी भी प्रकार की रुकावट, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर घर के सदस्यों को नाक, गला, आंखों में तकलीफ हो सकती है। वास्तु के हिसाब से मंदिर के रूप में ईशान कोण का प्रयोग सर्वाधिक उत्तम होता है।

जल की व्यवस्था हमेशा भूमिगत ही होनी चाहिए

बता दें कि अध्यात्म, योग करते समय अथवा भगवान की प्राप्ति के लिए ईशान कोण की तरफ मुख करके बैठें। पूजा के लिए सबसे बेहतर स्थान ईशान कोण ही होता है। सभी प्रकार के शुभ कार्य इसी दिशा में करें ताकि मांगलिक कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा न आये।

ईशान में भूलकर भी जूते, चप्पल या कोई अपवित्र वस्तु न रखें, यदि सम्भव हो तो, इस दिशा में नंगे पांव चलना चाहिए। ईशान कोण में कभी भी शौचालय न बनायें, इस कोण में जल की व्यवस्था हमेशा भूमिगत ही होनी चाहिए, छत पर टंकी न बनायें।

नोट: हम इन सभी बातों की पुष्टि नहीं करते। अमल करने से पहले संबंधित विषय विशेषज्ञ से संपर्क करें।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन… More »

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