कहानी : सच्ची खुशी

नताशा हर्ष गुरनानी, लेखिका
Story:

अंशुल और निशा आज सविता जी को गांव से शहर ले आए।

नए नए शहर और घर में आने से डर रही सविता को बेटे बहु ने बहुत प्यार, सम्मान दिया।

अर्जुन जी के जाने के बाद अकेली कैसे रहने देते अपनी मां को।

सामान जमाते जमाते निशा को सविता जी की लिखी एक डायरी दिखी।

उसे खोलकर पढ़ते पढ़ते कब दोपहर से शाम हो गई निशा को पता ही ना चला।

खो गई उन डायरी के पन्नो में और हैरत में रह गई अपने सास के इस गुण से।

मां कितना अच्छा लिखती है और मै उन्हें गांव में सब काम करते देख एक सामान्य सी महिला समझती थी पर मां के लिखे इन पन्नों ने उनकी काबिलियत का अहसास करवा दिया।

वो चुपचाप बाहर आई और अपने काम में लग गई।

रात में कमरे में अंशुल को मां की डायरी दिखाते हुए बोली ये देखिए मां कितना अच्छा लिखती है।

भाषा, शैली, शब्दो का चयन मां का तो अद्भुत है।

अंशुल ने पढ़ते पढ़ते बताया कि हां मां को कभी कभी मैने देखा था अकेले में लिखते हुए पर कभी ध्यान ही नहीं दिया कि मां इतना अच्छा लिखती है।

हमेशा काम में ही व्यस्त देखा उन्हे और सबकी सेवा करते ही उनके चहेरे पर जो सुकून देखते बस हमे लगता कि मां इसी में खुश है।

सुनिए ना अंशुल मां को फिर से लिखने के लिए प्रोत्साहित करते है ना

बिलकुल करना भी चाहिए निशा मेरी मां इतना अच्छा लिखती है।

उनकी डायरी पढ़कर ही उनके सुख का अनुभव कर रहा हूं मैं।

मां कहां है आप?

यहीं हूं अंशुल बेटा क्या हुआ?

मां एक बात पूछूं ?

हां बेटा कहो

मां आपका कोई एक सपना जो अधूरा रह गया हो जिसे आप पूरा करना चाहते हो पर कर ना पाए हो

आज ये क्या लेके बैठ गया बेटा

प्लीज मां बताओ ना, ऐसा कोई सपना, कोई खुवाइश जो आपने चाही पर पूरी ना कर पाई आप।

बेटा एक ही ख्वाब था कि मेरा कि मैं बहुत लिखूं, हर विधा में लिखूं, मेरा लिखा लोग पढ़े।

पर…….

पर संयुक्त परिवार में आकर ये सब ख्वाब कब आंखो से ओझल हो गए पता ही नही चला।

ओर फिर
एक दिन अंशुल और निशा ने एक पैकेट आकर सविता जी को दिया

ये क्या है बेटा?

आप खुद ही देखिए मां

पैकेट खोलकर अंदर अपने लिखे को किताब के रूप में देख सविता जी का चेहरा खिल गया, पन्ने बदलते बदलते मां के चेहरे के है भाव को पढ़ रहे थे दोनो।

हर पन्ने को बदलते ही होठों पर आई मुस्कान, फिर आंखो से बहते खुशी के आंसू, फिर याद कर कर के हर बात बताना कि क्या हुआ था घर में, तब मैने ये लिखा था, और भर भर मां का आशीर्वाद देना, मुझे और निशा को गले लगाना, माथा चुमना।

आज मां को खुश देखकर सही में बहुत खुशी हुई।

तब हमने मां से कहा मां अब आप रोज लिखना, सब लिखना आपका सपना अब हर बार पूरा होगा।

और मां ने गले लगा लिया

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