Holi 2023: दो दिन मानेगा त्योहार, जाने पूजन विधि, मुहूर्त

Holi Kab Hai 2023 : फाल्गुन पूर्णिमा तिथि दो दिन होने से होलिका दहन 6 और 7 मार्च को किया जाएगा। आइए जानते हैं आपके शहर में होली की सही तारीख कब है।

Holi 2023 Date in India Calendar Hindi: होली की तारीख को लेकर इस साल बहुत ही ज्यादा उलझन की स्थिति बनी हुई है। दरअसल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि दो दिन होने से होलिका दहन 6 और 7 मार्च को किया जाएगा। आइए जानते हैं आपके शहर में होली की सही तारीख कब है। किस दिन होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत होगा।

होली की पौराणिक कथा

होली कब है, इस बात को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है। इस साल देश भर में दो दिन होली मनाई जाएगी क्योंकि तिथियों का ऐसा संयोग बना है कि देश के अलग-अलग भागों में लोग अलग-अलग तिथियों में होली मना सकते हैं। दरअसल हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन चैत्र मास के कृष्ण प्रतिपदा को रंग गुलाल के साथ धुलंडी मनाई जाती है। लेकिन इस साल पूर्णिमा तिथि को लेकर अजब सी स्थिति बनी हुई है। इस कारण उत्तर पश्चिमी भारत और पूर्वी भारत में दो अलग-अलग दिनों में होलिका दहन और रंगोत्सव मना सकते हैं।

होलिका दहन की तारीख 2023 | Holika Dahan 2023

शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में भद्रा मुक्त समय में किया जाना चाहिए। विशेष स्थिति में भद्र मुख और भद्रा पुच्छ को छोड़कर भी होलिका दहन किया जा सकता है। लेकिन इसके साथ यह भी शर्त है कि जिस दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा हो उस दिन होलिका दहन किया जाना चाहिए। ऐसे में जो स्थिति बनती है उसके अनुसार पंजाब, महाराष्ट्र, जम्मू, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में 6 मार्च को पूर्णिमा प्रदोष काल में है। ऐसे में इन प्रदेशों में 6 मार्च को होलिका दहन किया जा सकता है।

Also Read: Holi के बाद इन 6 आसान तरीकों से करें बॉडी डेटॉक्स

जबकि पूर्वी भारत में 7 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि व्याप्त रहेगी और इस दिन भद्रा भी नहीं रहेगा। इसलिए 7 मार्च को होलिका दहन किया जाना उत्तम रहेगा। इसमें किसी प्रकार का कोई दोष भी नहीं रहेगा। इसलिए पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा और 8 मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा। इसमें एक और ध्यान रखने की बात है कि जहां पर सूर्यास्त 7 मार्च को 6 बजकर 10 मिनट से पहले होगा वहां पर होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा।

होली का समय और मुहूर्त | Holi 2023 Tithi

पूर्णिमा तिथि का आरंभ – 6 मार्च सोमवार, शाम 4 बजकर 18 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन – 7 मार्च मंगलवार, शाम 6 बजकर 10 मिनट तक
भद्रा काल का आरंभ – 6 मार्च सोमवार, शाम 4 बजकर 48 मिनट से
भद्रा काल का समापन – 7 मार्च मंगलवार, सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक

होलाष्टक 2023

होलिका दहन से 8 दिन पूर्व से होलाष्टक लग जाता है जिसे अशुभ समय मानते हैं। पंचांग की गणना के होलाष्टक 27 फरवरी दिन सोमवार से लग जाएगा और 8 मार्च बुधवार तक मान्य रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, इसके पीछे कई सामाजिक मान्यताएं हैं। जिनमें होलिका दहन की घटना को महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।

होली का महत्व

होली के पर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं और खास तरह के व्यंजन भी बनाए जाते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। होली के त्योहार के दिन सभी धार्मिक भेदभाव भूला दिए जाते हैं और इस पर्व को साथ मिलकर खेला जाता है। होली ही इकलौता ऐसा पर्व है, जो समानता और भाईचारे को बढ़ाता है और दुश्मन भी इस दिन एक दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है और लोग विधि विधान के साथ पूजन करते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि के साथ सभी तरह की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों का भी अंत हो जाता है।

होली की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यपु खुद को भगवान मानता था और जो भी उसे छोड़कर किसी अन्य देवी-देवता की पूजा करता था, वह उनको मार देता था। राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। बेटे को भक्ति को देखकर राजा हिरण्यकश्यपु ने उसे मारने का निर्णय लिया। इसके लिए राजा ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी।

होलिका को ब्रह्माजी से वरदान में एक चादर प्राप्त था जिसे ओढकर वह आग में नहीं जल सकती थी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गया और होलिका आग में जल गई। भक्त प्रह्लाद बच गया। इस तरह होली का पर्व शुरू हुआ और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया। होलिका जिस दिन जली थी उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि थी। तब से हर साल इस घटना की याद में होलिका दहन कर अधर्म पर धर्म की जीत को याद किया जाता है।

Back to top button