MP News : प्रदेश की आधा दर्जन अमूर्त धरोहरों को किया जाएगा यूनेस्को में शामिल

Latest MP News : इंदौर में रंगपंचमी पर निकाली जाने वाली गेर और 105 साल पुराना मैहर बैंड जैसी अमूर्त धरोहरों के बारे में अब पूरी दुनिया जानेगी। प्रदेश की आधा दर्जन अमूर्त धरोहरों को यूनेस्को की अमूर्त धरोहरों की सूची में शामिल कराने की तैयारी में है।

Latest MP News : उज्जवल प्रदेश, भोपाल. इंदौर में रंगपंचमी पर निकाली जाने वाली गेर और 105 साल पुराना मैहर बैंड जैसी अमूर्त धरोहरों के बारे में अब पूरी दुनिया जानेगी। राज्य सरकार प्रदेश की आधा दर्जन अमूर्त धरोहरों को यूनेस्को की अमूर्त धरोहरों की सूची में शामिल कराने की तैयारी में है। जल्द ही इनके प्रस्ताव भेजे जाएंगे।

यूनेस्को की विश्व धरोहरों को मूर्त और अमूर्त धरोहरों में बांटा गया है। मूर्त धरोहरों में वे धरोहर शामिल होती है जिनको आप छू सकें, देख सके और जो वास्तविक है। वहीं अमूर्त धरोहरों में वे धरोहर शामिल है जिन्हें आप छू नहीं सकते, महसूस नहीं कर सकते लेकिन वे मौजूद है जैसे की हमारी संस्कृति। हमारे पूर्वजों से मिली सांस्कृतिक विरासत , परंपराएं और जीवित अभिव्यक्तियां इसमें शामिल होती है। हमारी अमूर्त धरोंहरे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रसारित होने वाले ज्ञान और कौशल का धन है।

यूनेस्को ने वर्ष 2008 से अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों का पंजीयन करना शुरु किया था। यूनेस्को की सूची में अभी तक देश की 14 अमूर्त धरोहरे शामिल है। इनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुगा पूजा, नवरोज, योग, वैदिक जप की परंपरा, रामायण, रामलीला का पारंपरिक प्रदर्शन, छऊ नृत्य, लद्दाख का बौद्ध जप, संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल और मणिपुर का नृत्य, जंडियाला गुरु के ठठेरे, तर्बन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प जैसी अमूर्त धरोहरे शामिल है।

गोंड पेंटिंग को मिला है जीआई टैग

इंदौर में रंगपंचमी के मौके पर निकाला जाने वाला पारंपरिक गेर का एक अपना ही अलग महत्व है। मध्यप्रदेश की गोंड पेंटिंग जिसे हाल ही में जीआई टैग मिल चुका है यह आदिवासी कलाकारों की कला और संस्कृति की परिचायक है। इसमें प्रकृति, पेड़, पौधों, जानवरों, चंद्रमा, सूरज, नदी, नालों, भगवान और देवी देवताओं के बारे में बताया जाता है। क्या खाना खिलाया जाता है, कैसे हल बनाया जाता है, राजा कैसे करते थे, लड़ाई और तंत्र मंत्र की शक्तियां कैसे काम करती है यह सब इन पेंटिंग के माध्यम से समझाया गया है।

105 साल पुराना है मैहर बैंड

देश के सुविख्यात संगीत घरानों में से एक मैहर घराने की नींव रखने वाले उस्ताद अलाउद्दीन खां द्वारा स्थापित मैहर बैंड जो 105 साल पूरे कर चुका है। यह अकेला अनूठा बैंड है जिसके पास बंदूक की नाल से संगीत लहरियां छोड़ने वाला अनोखा साज है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में लोहे से पारंपरिक कलाकृतियां, खिलौने, औजार बनाने की परंपरा भी है।

मध्यप्रदेश में नर्मदा कल्चर और मालवा अंचल का भगोरिया नृत्य भी काफी प्रसिद्ध है। धार, झाबुआ और खरगौन के हाट बाजार, मेलों में भगोरिया उत्सव के दौरान इसका आयोजन होता है। इन सभी को यूनेस्को की अमूर्त धरोहरों की सूची में शामिल कराने की तैयारी पर्यटन तथा संस्कृति विभाग ने कर ली है।

इसके अलावा इंदौर के खानपान और ग्वालियर की क्रिएटिविटी को भी यूनेस्को की सूची में शामिल कराने की तैयारी है। इसके लिए जल्द ही प्रस्ताव बनाकर केन्द्रीय सांस्कृतिक कमेटी के पास भेजा जाएगा। वहां से इसे यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल करने के लिए भेजा जाएगा।

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