MP Breaking: मध्यप्रदेश हाइकोर्ट को मिले 7 नए जज, देखें सूची
MP High Court New judges | MP Breaking News | MP Court Judge Appointment: मध्य प्रदेश में इस साल सात जज रिटायर हो रहे हैं और इसके पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इतने ही जजों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है।
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MP Breaking News | MP High Court New judges: उज्जवल प्रदेश, भोपाल. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में 7 नए जज अपॉइंट हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कॉलेजियम ने सभी जजों के नाम पर मुहर लगा दी है. ऐसा कहा जा रहा है कि इस साल सात जज रिटायर हुए हैं जबलपुर में मौजूद प्रिंसिपल बेंच में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा। इन जजों को चीफ जस्टिस द्वारा जबलपुर के साथ इंदौर (Indore) और ग्वालियर (Gwalior) बेंच में शपथ दिलाई जाएगी।
मध्यप्रदेश के हाइकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) को 7 नए जज मिले हैं। जजों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जारी आदेश में रुपेश चंद्रा, अनुराधा शुक्ला, संजीव सुधाकर, प्रेमनारायण सिंह, अचल कुमार पालीवाल, हिर्दर्श अवनीश कुमार सिंह जज बनाए गए हैं। जजों की नियुक्ति से हाईकोर्ट की कार्यवाही को गति मिलेगी। आदेश भारत सरकार के विशेष सचिव राजिंदर कश्यप के हस्ताक्षर जारी हुए हैं।
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ये जज हुए रिटायर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस वीरेंद्र सिंह का 14 अप्रैल को रिटायर होंगे। जस्टिस अंजलि पालो 18 मई,जस्टिस अरुण शर्मा 28 जुलाई और जस्टिस नंदिता दुबे 16 सितम्बर को रिटायर होंगी। जस्टिस सत्येंद्र सिंह 23 अक्टूबर ,जस्टिस दीपक अग्रवाल 20 सितम्बर और जस्टिस राजेंद्र वर्मा 30 जून को रिटायर हो जाएंगे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों के 53 पद स्वीकृत हैं।
कार्यरत जजों की संख्या 34 है। सात नए जज मिलने के बाद भी यह संख्या नहीं बदलेगी. साल के आखिर तक 7 जज रिटायर भी हो जाएंगे। अभी भी हाईकोर्ट में जजों के 19 पद रिक्त हैं।
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एमपी में 11 साल पुराने केस भी हैं पेंडिंग
यहां बता दें कि सिविल और क्रिमिनल केस के पेंडिंग के मामले में मध्य प्रदेश की स्थिति बेहद खराब है। पेंडिंग केसों को निपटाने में मध्य प्रदेश सरकार की नीति कारगर साबित नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार की नीति है कि कोई भी पेंडिंग केस 3 साल से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन एमपी में 11 साल पुराने केस तक लंबित हैं।
इतना ही नहीं, पिछले एक साल में ही हाईकोर्ट पर 23 हजार केसों का बोझ बढ़ गया है। केंद्र सरकार ने साल 2022 की तीसरी तिमाही में सभी राज्यों के केस का ब्योरा दिया था जिसमें मध्य प्रदेश में पेंडिंग केसों की संख्या 4 लाख 17 हजार थी।