Health Tips: शराब और सिगरेट की लत का असली कारण, जानिए शरीर का कौन-सा हार्मोन बनाता है आपको इसका आदी
Health Tips: शराब और सिगरेट की लत क्यों लगती है? इसका कारण दिमाग में रिलीज होने वाले कुछ खास हार्मोन हैं, जैसे डोपामाइन, ग्लूकोकार्टिकोइड्स और न्यूरोट्रांसमीटर। ये केमिकल हमारे मूड, तनाव, नींद और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं, जिससे बुरी आदतों को छोड़ना मुश्किल हो जाता है। जानिए इनके असर और उपाय।

Health Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. क्या आप जानते हैं कि शराब और सिगरेट की लत सिर्फ आदत नहीं, बल्कि दिमाग में मौजूद कुछ खास हार्मोन की वजह से लगती है? डोपामाइन, ग्लूकोकार्टिकोइड्स और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन हमारे शरीर में ऐसे बदलाव लाते हैं, जिससे इन नशे वाली चीजों की तलब बढ़ती जाती है। इस लेख में हम इन्हीं हार्मोनों के प्रभाव और इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारणों को समझेंगे।
शराब और निकोटीन क्यों बनाते हैं आपको उनका आदी?
हर इंसान की जिंदगी में कुछ न कुछ आदतें होती हैं। कुछ अच्छी होती हैं और कुछ बुरी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी बुरी आदतें हमें इतनी जल्दी क्यों लग जाती हैं और उन्हें छोड़ना इतना मुश्किल क्यों होता है? इसका कारण सिर्फ इच्छाशक्ति की कमी नहीं, बल्कि हमारे शरीर में मौजूद कुछ हार्मोन होते हैं।
खासकर जब बात शराब और सिगरेट जैसी चीजों की लत की हो, तो इसके पीछे दिमाग में रिलीज होने वाले डोपामाइन, ग्लूकोकार्टिकोइड्स और न्यूरोट्रांसमीटर जिम्मेदार होते हैं। ये हार्मोन शराब और निकोटीन के प्रभाव को बढ़ाते हैं, जिससे इनकी लत छूटना मुश्किल हो जाता है।
डोपामाइन: खुशी और इनाम देने वाला हार्मोन
डोपामाइन को ‘फील गुड’ हार्मोन कहा जाता है। यह तब रिलीज होता है जब हमें कोई खुशी या आनंददायक अनुभव होता है। निकोटीन और शराब का सेवन करने पर यह हार्मोन बड़ी मात्रा में रिलीज होता है, जिससे दिमाग इसे एक सकारात्मक अनुभव के रूप में दर्ज करता है। जब यह प्रक्रिया बार-बार होती है, तो शरीर इसे दोहराने की इच्छा करने लगता है, जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे इसकी लत में फंस जाता है।
ग्लूकोकार्टिकोइड्स: तनाव बढ़ाने वाला हार्मोन
ग्लूकोकार्टिकोइड्स मुख्य रूप से कोर्टिसोल हार्मोन से जुड़े होते हैं, जो शरीर में तनाव की स्थिति में रिलीज होता है। जब कोई व्यक्ति तनाव महसूस करता है, तो वह शराब या सिगरेट का सेवन करता है, जिससे अस्थायी रूप से राहत मिलती है। लेकिन यह राहत अस्थायी होती है, और व्यक्ति बार-बार इसका सेवन करने लगता है। इस तरह, ग्लूकोकार्टिकोइड्स शरीर को नशे की चीजों का आदी बना देते हैं।
कोर्टिसोल: तनाव हार्मोन
कोर्टिसोल को ‘स्ट्रेस हार्मोन’ भी कहा जाता है। जब शरीर में तनाव बढ़ता है, तो कोर्टिसोल का स्तर भी बढ़ जाता है। यह हार्मोन शरीर को अलर्ट और एक्टिव रखता है, लेकिन जब यह लंबे समय तक अधिक मात्रा में बना रहता है, तो यह चिंता, हाई ब्लड प्रेशर और नींद की समस्याओं का कारण बन सकता है। शराब और निकोटीन शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाते हैं, जिससे तनाव कम करने के लिए व्यक्ति इनका अधिक सेवन करने लगता है।
एस्ट्रोजन: मूड स्विंग्स और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
एस्ट्रोजन हार्मोन मुख्य रूप से महिलाओं में पाया जाता है, लेकिन पुरुषों में भी यह एक सीमित मात्रा में मौजूद होता है। यह मूड को स्थिर रखने में मदद करता है, लेकिन जब इसका स्तर कम या ज्यादा हो जाता है, तो व्यक्ति में मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। शराब और सिगरेट एस्ट्रोजन के स्तर को प्रभावित करते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
मेलाटोनिन: नींद के पैटर्न को प्रभावित करने वाला हार्मोन
मेलाटोनिन हार्मोन नींद को नियंत्रित करता है और शरीर को बताता है कि कब सोना है। शराब और निकोटीन इस हार्मोन के स्तर को प्रभावित करते हैं, जिससे अनिद्रा या खराब नींद की समस्या हो सकती है। जब कोई व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता, तो तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है, जिससे शराब और सिगरेट की तलब और बढ़ जाती है।
ग्रोथ हार्मोन: शरीर की ग्रोथ और सेल रिपेयर में बाधा
ग्रोथ हार्मोन शरीर की ग्रोथ, सेल रिपेयर और ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह हार्मोन रात में सबसे अधिक सक्रिय रहता है, जब शरीर आराम कर रहा होता है। लेकिन शराब और निकोटीन इसके स्तर को कम कर देते हैं, जिससे शरीर की ग्रोथ और सेल रिपेयर की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
कैसे बचा जा सकता है इन हार्मोनों के प्रभाव से?
शराब और सिगरेट की लत को छोड़ना आसान नहीं है, लेकिन अगर सही रणनीति अपनाई जाए, तो यह संभव है। सबसे पहले, अपने तनाव को कम करने के लिए हेल्दी आदतें अपनाएं, जैसे योग, ध्यान और एक्सरसाइज। अपनी डाइट में हेल्दी फूड्स शामिल करें, जो हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करें। इसके अलावा, अपने विचारों को सकारात्मक बनाए रखने के लिए मोटिवेशनल किताबें पढ़ें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की कोशिश करें।